नहीं रहे पहाड़ी लोकगायक गिरधारी लाल वर्मा

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। हिमाचली पहाड़ी गीतों के रचयिता और गायक गिरधारी लाल वर्मा का बुधवार को निधन हो गया। 62 वर्षीय गिरधारी लाल वर्मा का जन्म 15 नवंबर, 1955 को हुआ था। वह मूल रुप से हमीरपुर जिला के गलोड क्षेत्र के रहने वाले थे लेकिन व्यवसाय के चलते अब वह परिवार सहित हमीरपुर नगर में ही अपने मकान में रह रहे थे।

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हृदयघात के कारण बुधवार सुबह ली अंतिम साँस

बुधवार सुबह पांच बजे के करीब जैसे ही उन्हें हार्ट अटैक हुआ, परिवार के सदस्य उन्हें मैडिकल कालेज अस्पताल हमीरपुर ले आए। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए डाक्टरों ने रेफर कर दिया। परिवार के सदस्य उन्हें गंभीर हालत में पी.जी.आई. चंडीगढ़ लेकर चले गए, लेकिन ऊना के पास पंहुचते ही करीब दस बजे गिरधारी लाल वर्मा ने अंतिम सांस ली।

गिरधारी लाल वर्मा अपने पीछे दो बेटे व एक बेटी को छोड़ गये। दिवंगत गिरधारी लाल वर्मा को संगीत की प्रेरणा श्री राम नाटक क्लब द्वारा की जाने वाली रामलीलाओं से मिली। बाद में उनके गाए लोकगीत आकाशवाणी शिमला और एफ.एम. हमीरपुर पर भी गूंजने शुरु हो गये। उन्होंने लगभग 150 पहाड़ी गीत लिखे और उन्हें स्वयं ही गाया। टी सीरिज के साथ मिल उनकी कई धार्मिक व पहाड़ी संगीत की एलबम निकली जिन्हें लोगों ने ख़ूब पसंद किया।

गिरधारी लाल वर्मा की सन 2000 में आई एलबम मणि महेशा जो जाना, 2002 में सुन लो किरण मैया दी कहानी और चलो यात्रा नू चलिए मैया दे, 2004 में कथा बाबा बालक रुपी जी, 2006 में पच्चियां दी गिनती, धूडु नचिया जटा ओ खलारी हो जैसी एलबम व गाए गये भजन आज भी जागरण समारोह में कलाकारों द्वारा गाए जाते हैं। लोक गायक गिरधारी लाल वर्मा के निधन की सूचना मिलते ही संगीत प्रेमियों को धक्का लगा है और कलाप्रेमियों में मायूसी छा गयी।

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