भारतीयों को प्राकृतिक छटा से पूरित भारतीय नववर्ष नहीं याद: साध्वी रुकमणि भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा भारतीय नववर्ष विक्रमी संवत 2076 के उपलक्ष्य में गौतम नगर में स्थित आश्रम में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी सुश्री रुकमणि भारती जी ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के कारण भारतवासी अपनी सनातन भारतीय संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं।

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जिससे आज भारतीयों को वेलेंटाइन-डे से लेकर प्रत्येक पाश्चात्य दिवस तो याद है, परंतु चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाने वाला ऐतिहासिक, वैज्ञानिक व प्राकृतिक छटा से पूरित भारतीय नववर्ष याद नहीं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व बताते हुए उन्होंने बताया कि इसी दिन के सुर्योदय से ब्रह्मजी ने सृष्टि की रचना प्रांरभ की। इसी दिन ऋषि मुनियों द्वारा भारतीय दिन दशिंका अर्थात कैलंडर का निर्माण व पंचाग की रचना भी हुई।

सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्ही के नाम पर विक्रमी संवत का पहला दिन प्रारंभ होता है। प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही हैं। शक्ति और भक्त के नौ दिन अर्थात नवरात्र का पहला दिन यही है। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की।

सिंध प्रांत के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरुणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए। युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ। इस उपलक्ष्य पर साधकों ने सामूहिक ध्यान एवं विश्व शंाति के लिए दिव्य मंत्रों का विधिवत उच्चारण किया। अन्य साध्वी बहनों ने भजनों का गायन कर साधकों का मार्गदर्शन भी किया। इस दौरान विशाल भंडारा भी आयोजित किया गया।

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