ईश्वरीय ज्ञान होने के बाद बनता है प्रेम, शांति और एकत्व का रुप: इन्द्रजीत शर्मा

चण्डीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। संत निरंकारी मिशन कोई प्रचलित धर्म या सम्प्रदाय नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक विचारधारा है। सन्त निरंकारी मिशन प्रभु की जानकारी करवाकर विश्व बंधुत्व की स्थापना कर रहा है। यह विचार सन्त निरंकारी सत्संग भवन सैक्टर 30-ए चंडीगढ़ में हुए सत्संग में संत निरंकारी मंडल दिल्ली से आए केंद्रीय ज्ञान प्रचारक इंद्रजीत शर्मा जी ने हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहे।

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उन्होंने पुरातन पीर पैगंबरों का उदाहरण देते हुए आगे कहा कि बिना सतगुरु के भक्ति संभव नहीं होती। संत निरंकारी मिशन इस तथ्य पर जोर देता है कि जब तक हमें ब्रहम की पहचान नहीं हो जाती तब तक हमें धर्म की परिभाषा सही अर्थो में समझ नहीं आती और जब इंसान धर्म को समझ जाता है तो वह चुभने वाले तथ्यों को अपनी और रखकर दूसरों को सुख देने का ही प्रयास करता है।

उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक समय में नैतिकता में आई गिरावट पर बोलते हुए कहा कि आज सबसे पहले मानव को अपने मूल रुप की पहचान करने की जरुरत है ताकि वह समझ सके कि यह समस्त संसार एक फूलों की क्यारी की तरह है जिसमें शामिल विभिन्न तरह के फूल अलग-अलग धारणाओं को प्रदर्शित करते है पर वास्तविकता में एक ही परिवार का अंग है। सतगुरु की कृपा से ही ईश्वरीय ज्ञान होने के बाद जाति, वर्ण, धर्म के भेदभाव मिट जाते हैं और आपस में प्रेम, शांति और एकत्व का रुप बनता है। यह तभी सम्भव होता है जब हमें यह एहसास हो जाता है कि हम सब एक ही परमपिता परमात्मा की संतान हैं। इस मौके पर के.के . कश्यप जी जोनल इंचार्ज व नवनीत पाठक जी संयोजक संत निरंकारी मंडल चंडीगढ़ ने इंद्रजीत शर्मा जी स्वागत किया।

निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने दिल्ली में चण्डीगढ के महात्मा ओ.पी. निरंकारी जी को संत निरंकारी सेवादल के मुख्य संचालक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस जिम्मेदारी के बाद पहली बार चण्डीगढ की साध संगत की ओर से के. के. कश्यप जोनल इंचार्ज व नवनीत पाठक संयोजक ने गले में दुपट्टा डालकर स्वागत किया। ओ.पी. निरंकारी जी ने संगत से अशीर्वाद की कामना की। इस अवसर पर शुभ करण जी उप मुख्य संचालक सेवादल व एच.एस. कोहली रोशन मिनार, आत्म प्रकाश, प्रदीप कुमार क्षेत्रीय संचालक सेवादल भी उपस्थित थे।

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