सतगुरु के ब्रह्मज्ञान से ही जीवन होगा भक्तिमय: सतगुरु सुदीक्षा

हरिद्वार/ऋषिकेश (द स्टैलर न्यूज़)। मानव में जब तक प्रेम, दया, करूणा, विनम्रता तथा सहनशीलता वाले गुण नहीं होंगे तब तक जीवन में भक्ति स्थापित नहीं हो सकती। जीवन में इन गुणों के समावेश के बाद मनुष्य का यह लोक सुखी व परलोक आनंदमई हो जाता है। परमात्मा की जानकारी से ही सुंदर जीवन होगा। उक्त विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने ऋषिकेश में हुए संत समागम के दौरान प्रकट किए।

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निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी के आगमन पर वहां की संगतों द्वारा शानदार स्वागत किया गया। इस दौरान सतगुरु माता जी ने नए बने भवन की ईमारत का भी उदघाटन किया। उन्होंने कहा कि जीवन बहुत ही अमूल्य है, इसे दूसरों की कमियां निकालने, निंदा करने में ना गवाएं बल्कि दूसरों के गुणों को देखकर उनको जीवन में धारण करना चाहिए। सतगुरु से ब्रह्मज्ञान हासिल करने के बाद जब इंसान को इस परमात्मा की जानकारी मिल जाती है तो इंसान के व्यवहार व बोली में बदलाव आता है। विनम्रता आती है, जीवन भक्ति वाला बनता है।

उन्होंने कहा कि मानव योनि में आकर परमात्मा की जानकारी करना ही उत्तम कर्म है, इसके बाद भक्ति शुरु होती है। परमात्मा की जानकारी के बाद ही जीवन भक्तों वाला बन सकता है। पहाड़ चढऩे वाला व्यक्ति झुककर चलता है और उतरने वाला अकड़ कर चलता है। भक्ति में इंसान नम्र व सरल हो जाता है।

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