इस संक्रांति कन्या से तुला राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य देव: पं. श्याम

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। सूर्य के कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करने को तुला संक्रांति कहा जाता है। यह पंडित श्याम ज्योतिषी जी के मुताबिक कार्तिक महीने में आती है, इस साल तुला संक्रांति 17 अक्टूबर को आ रही है। इस दिन से सूर्य 16 नवंबर तक तुला राशि में रहेगा। यह संक्रांति कई बार दुर्गाष्टमी पर नवरात्रि में भी पड़ती है जिसे पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। राशि परिवर्तन के समय सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है।

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पूरे साल में होती हैं 12 संक्रांति

सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहते हैं। संक्रांति एक सौर घटना है। हिन्दू कैलेंडर और ज्योतिष गणपति ज्योतिष संस्थान (आचार्य राज कुमार) के मुताबिक पूरे साल में 12 संक्रान्तियां होती हैं। हर राशि में सूर्य के प्रवेश करने पर उस राशि का संक्रांति पर्व मनाया जाता है। हर संक्रांति का अलग महत्व होता है। शास्त्रों में संक्रांति की तिथि एवं समय को बहुत महत्व दिया गया है। संक्रांति पर पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान आदि का काफी महत्व है।

क्या है तुला संक्रांति

सूर्य का तुला राशि में प्रवेश करना तुला संक्रांति कहलाता है। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने में पड़ता है कुछ राज्य में इस पर्व का अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। जिनमें मुख्य उड़ीसा और कर्नाटक है। यहां के किसान इस दिन को अपनी चावल की फसल के दाने के आने की खुशी के रूप में मनाते हैं। तुला संक्रांति का कर्नाटक और उडि़सा में खास महत्व है। इसे तुला संक्रमण भी कहा जाता है। इस दिन कावेरी के तट पर मेला लगता है, जहां स्नान और दान-पुण्य किया जाता है।

चढ़ाए जाते हैं ताजे धान

1. तुला संक्रांति और सूर्य के तुला राशि में रहने वाले पूरे 1 महीने तक पवित्र जलाशयों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है।

2. तुला संक्रांति का वक्त जो होता है उस दौरान धान के पौधों में दाने आना शुरू हो जाते हैं। इसी खुशी में मां लक्ष्मी का आभार जताने के लिए ताजे धान चढ़ाए जाते हैं।

3. कई इलाकों में गेहूं और कारा पौधे की टहनियां भी चढ़ाई जाती हैं। मां लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है कि वो उनकी फसल को सूखा, बाढ़, कीट और बीमारियों से बचाकर रखें और हर साल उन्हें लहलहाती हुई ज्यादा फसल दें।

4. इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजन का भी विधान है। माना जाता है इस दिन देवी लक्ष्मी का परिवार सहित पूजन करने और उन्हें चावल अर्पित करने से भविष्य में कभी भी अन्न की कमी नहीं आती।

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