होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: जतिंदर प्रिंस। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे नरक चौदस भी कहा जाता है। इस वर्ष काली चौदस 26 अक्टूबर को मनाई जायेगी। इस दिन स्वर्ग एवं रूप की प्राप्ति के लिए सूर्योदय से पहले उबटन, स्नान एवं पूजन किया जाता है। लेकिन इस दिन को रूप चौदस और नरक चौदस के अलावा काली चौदस भी कहा जाता है, जो बहुत कम लोग जानते हैं। खासतौर से उत्तर भारत के लोग इस दिन माँ काली की पूजा को अधिक महत्व देते हैं।
माँ काली अपने भक्तों को बुरी ताकतों से लडऩे के लिए शक्ति व साहस प्रदान करती हैं। इस दिन अलौकिक शक्तियों को हासिल करने के लिए भी माँ काली की पूजा की जाती है। दरअसल पूरे भारतवर्ष में रूप चतुर्दशी का पर्व यमराज के प्रति दीप प्रज्वलित कर, यम के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए मनाया जाता है, लेकिन बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस कहा जाता है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है।
काली मां के आर्शिवाद से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिलती है। ज्योतिष की मान्यता के अनुसार राहु को जिंदगी के दुष्ट क्षेत्रों का कारक माना जाता है। माँ काली की पूजा को नकारात्मकता का प्रभाव दूर करने वाला माना जाता है, जोकि राहु के दूषित प्रभाव का परिणाम होती है। जो लोग राहु के दुष्प्रभावों का सामना कर रहे हो, उन्हें इस दिन विशेष रूप से देवी को खुश करने के लिए इनकी विधिवत पूजा करना चाहिए।