तलवाड़ा ब्लाक के किसानों की शानदार पहल, धान की पराली को आग लगाने का एक भी मामला नहीं

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। तलवाड़ा ब्लाक के किसानों ने शानदार पहल करते हुए एक बेहतरीन प्रयास किया है। इस ब्लाक में इस वर्ष अभी तक धान की पराली को आग लगाने का एक भी मामला सामने नहीं आया है। यहां के जागरुक किसानों ने पराली को आग लगाकर जहां क्षेत्र की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखा वहीं पराली को आग लगाने से उठने वाले भयानक धुएं से लोगों व पर्यावरण की रक्षा के लिए भी एक सराहनीय कदम उठाया है। ब्लाक के 32 गांवों में 1650 हैक्टेयर रकबे में धान की काश्त की गई और अभी तक पराली को आग लगाने की एक भी शिकायत दर्ज नहीं की गई है। किसानों की इस पहल से लोगों व पर्यावरण को तो इसका फायदा पहुंच ही रहा है वहीं उनको भी इसका काफी लाभ मिला है। पराली को आग न लगाने से उनकी जमीन की उपजाऊ शक्ति और ज्यादा बढ़ी है वहीं इसे बेचकर वे मुनाफा भी कमा रहे हैं।

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– किसान अब पराली नहीं जलाते बल्कि बेचकर कमा रहे हैं मुनाफा

जिलाधीश ईशा कालिया ने ब्लाक तलवाड़ा के जागरु क किसानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बाकी किसानों को भी इन किसानों से प्रेरणा लेते हुए पराली को आग लगाने के रु झान को त्यागना चाहिए। उन्होंने कहा कि फसलों के अवशेषों का खेत में ही प्रबंधन करने के लिए खेती मशीनरी का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से फसलों के अवशेषों का खेत में ही प्रबंधन करने के लिए किसानों को खेती मशीनरी सब्सिडी पर उपलब्ध करवाई गई है। श्रीमती ईशा कालिया ने कहा कि फसलों के अवशेषों को आग लगाने से जहां धरती की उपजाऊ शक्ति कम होती है वहीं वातावरण भी दूषित होता है। इसके अलावा जमीन के अंदर मित्र कीड़े भी मर जाते हैं। उन्होंने किसानों को अपील करते हुए कहा कि वे फसली चक्र से निकलकर कृषि विविधिकरण को भी प्राथमिकता दें।

– ब्लाक के 32 गांवों में 1650 हैक्टेयर रकबे में की गई धान की काश्त

उधर तलवाड़ा ब्लाक के गांव नसोलीगर के किसान प्रहलाद सिंह, भटोली के सुरेश कुमार, सखवां के दिलावर सिंह व करम सिंह, चक्क मीरपुर के तरलोक सिंह, चक्क पंडायन के मदन लाल, नसोलीहार के विक्रमजीत सिंह व सोम राज, देपुर के अजय कुमार, बडाला के रजिंदर सिंह ने बताया कि ब्लाक के 80 प्रतिशत रकबे में धान लगाया गया था और कहीं भी आग नहीं लगाई गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने गेहूं की कटाई कर बिना आग लगाए धान की काश्त भी की थी व इससे जमीन की उपज शक्ति में सुधार हुआ है व खादों के प्रयोग में गिरावट आई है।

-जिलाधीश ने की किसानों की इस पहल की सराहना

इसी तरह गांव रकड़ीहार के किसान मनोहर सिंह, नारनोल के मंजीत सिंह, गोइलवाल के बिशन दास, खटिगड़ के प्रमोद सिंह, तलवाड़ा के सीता राम, नमोलीहार के सुजान सिंह, राम नंगल के साहिब सिंह, भडियाणा के नवदीप सिंह व गांव ललोता के करमचंद ने बताया कि धान की पराली गुज्जर भाईचारे, मशरु म पैदा करने वाले किसान व सेबों की पैकिंग करने वालों को बेच कर वे मुनाफा भी कमा रहे हैं। मुख्य कृषि अधिकारी डा. विनय कुमार ने कहा कृषि विभाग की ओर से जिले में 6 जागरु कता वैने चलाई गई हैं जो कि अलग -अलग स्थानों में जाकर किसानों को धान की पराली न जलाने का संदेश दे रही है। उन्होंने कहा कि किसान पराली न जलाकर इसका खेतों में ही उचित प्रबंधन करें। उन्होंने किसानों को अपील करते हुए कहा मानवीय स्वास्थ्य, वातावरण की शुद्धता व जमीनी की उपजाऊ शक्ति बरकरार रखने के लिए धान की पराली आग न लगाई जाए।

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