थाने से बिक गई सैकड़ों पेटी शराब, तीन तारा और फीती वाले साहिब चर्चा में

एक कहावत है “जिन्ना निक्का उन्ना तिक्खा” और यह कहावत होशियारपुर पर पूरी तरह से चरितार्थ होती नजर आती है, क्योंकि छोटे से होशियारपुर में एक चर्चा खत्म नहीं होती कि दूसरी शुरु हो जाती है। कभी किसी राजनेता से जुड़ी तो कभी जनता की सुरक्षा में तैनात पुलिस से संबंधित चर्चा का बाजार ऐसा गर्म होता है कि जनता को समझ नहीं आ रही ह कहां जाए। क्योंकि अगर बाड़ ही खेत को खाने लगेगी तो फिर फसल का क्या होगा का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। होशियारपुर में इन दिनों जहां अवैध माइनिंग का मामला सभी के लिए राजनीतिक एवं प्रभुत्व का मुद्दा बना हुआ है वहीं अब नई चर्चा के सामने आने से लोगों का ध्यान सुरक्षा में तैनात पुलिस विभाग की तरफ चला गया है। हालांकि यह चर्चा पिछले माह से ही हो रही है, परन्तु सुर्खियों में आते-आते इसे एक माह का समय लग गया। क्योंकि, भाई खाखी से पंगा. . . न भाई न। विभाग में बैठी काली भेड़ों के कारनामों के चलते विभाग की छवि को सुधारने में लगे उच्चाधिकारियों की सारी कोशिशें धरी की धरी रह जाती हैं।

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न दिनों चर्चा है कि दीपावली के दिनों में एक थाने से सैकड़ों पेटी बिक गई और वो भी वो वाली जो अवैख शराब बेचने वालों से काबू की गई थी। यह भी चर्चा है कि अगर इसकी गहनता से जांच की जाए तो उन दिनों शायद थाने के सी.सी.टी.वी. कैमरे भी खराब पाए जाएं। अब यह तो जाहिर सी बात है कि वे खराब हुए या किए गए यह भी जांच की विषय है। खैर यह काम तो पुलिस का है और पुलिस जाने या इसके अधिकारी कि क्या करना है और क्या नहीं। हमारा काम तो जागरुक करना है और वो हम करते रहेंगे। सूत्रों के अनुसार एक तेज तर्रार तीन तारों वाले साहिब ने फीती लगे बड़े साहिब के साथ मिलकर सैकड़ों पेटी दीपावली के दिनों में 2-3 दिन के भीतर बेच डाली और बड़े और छोटे साहिब खासे मालामाल हुए। चर्चाओं में अभी यह साफ नहीं हुआ कि अंगूर की बेटी से मिली हरे-हरे नोटों की हरियाली ने किस-किस के चेहरे खिलाए। परन्तु अवैध तौर से बिकने आई शराब थाने से बिकने की चर्चा सार्वजनिक होने से जहां विभाग में काली भेड़ों द्वारा किए जा रहे गोलमाल से पर्दा उठा रहा है वहीं नशा तस्करी को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर भी सवालिया निशान लगने तय हैं।

ऐसी भी चर्चा है कि पुलिस में कई ऐसे अधिकारी हैं जो शराब क्या अन्य तस्करी से लाया गया सामान इधर से उधर कर देते हैं, लेकिन यह मामला इसलिए भी अधिक सुर्खियां बटौर रहा है क्योंकि तीन तारा और फीती लगे साहिब कई नेताओं और अधिकारियों की गुड बुक में कहे जाते हैं तथा उनकी जड़ें काफी मजबूत समझी जाती हैं। इतना ही नहीं तीन तारा वाले अधिकारी का एक कारनामा एक दैनिक समाचार पत्र द्वारा लिखे जाने वाले शहरनामे में भी छप चुका है, जिसमें उन्होंने बताया था कि एक अपराधी सुधरना चाहते हैं, पर साहिब को यह बात पसंद नहीं आ रही थी।

क्या कहा, कौन सा थाना है यह भी लिख दूं। क्यों भाई मेरी जान के दुश्मन बने बैठे हो, पुलिस से पंगा न भाई न। समझने वाले समझ गए और जो न समझे वो भी समझ जाएं तो अच्छा है, क्योंकि बुरे काम का बुरा नतीजा, कहते लोग सियाने। अब मुझे दें इजाजत, जय राम जी की।

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