अवैध माइनिंग: अब गेंद अधिकारियों के पाले में, होगी कर्तव्य निष्ठा की परीक्षा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। अवैध माइनिंग को लेकर जहां सत्ता पक्ष से जुड़े कैबिनेट मंत्री सुन्दर शाम अरोड़ा ने अवैध माइनिंग पर शिकंजा कसने के निर्देश जारी किए हैं वहीं विपक्ष के नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद सूद ने भी आरोपियों पर कार्यवाही की वकालत कर दी है। दोनों बड़े नेताओं द्वारा अवैध माइनिंग पर कार्यवाही वकालत किए जाने के बाद अब गेंद अधिकारियों के पाले में आ गई है तथा अब यह देखना होगा कि वह कितने कर्तव्य निष्ठावान हैं और कितनी गंभीरता से व कितनी जल्दी गांव डाडा व अन्य स्थानों पर हो रही अवैध माइनिंग से जुड़े हर तार का खुलासा करते हैं।

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गत दिवस गांव डाडा में पिछले लंबे समय से हो रही हो रही अवैध माइनिंग के संबंध में द स्टैलर न्यूज़ द्वारा पूरा मामला उजागर किया गया था तथा इसके बाद समाचारपत्रों ने भी इस मामले को प्रमुखता से उठाया। मामला प्रकाश में आने के बाद माइनिंग विभाग की सिफारिश पर पुलिस ने जगह के मालिकों पर तो मामला दर्ज कर दिया, मगर हैरानी इस बात की है कि मामला प्रकाश में आए एक सप्ताह से भी अधिक समय हो चला है, परन्तु माइनिंग व पुलिस विभाग ने अभी तक उस जगह पर किसकी मशीनरी से अवैध माइनिंग हो रही थी व इसके पीछे किस-किस का हाथ है। अभी तक की कार्यवाही पर नजऱ दौड़ाई जाए तो इस मामले में जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है उनमें कई लोग तो ऐसे हैं जो यहां रहते ही नहीं। अधिकतर या तो अन्य राज्यों में रहते हैं या फिर विदेश में बसे हैं। यह भी साफ नहीं किया गया कि जमीन पर काबिज कौन-कौन हैं। परन्तु बिना छानबीन किए खानापूर्ति करते हुए विभाग ने 13 लोगों (जिनमें कमल चंद, पम्मी भारद्वाज, चमन लाल, परगट लाल, जगन्नाथ, जसविंदर सिंह, अशोक कुमार, सुरजीत कौर, संदीप कुमार, सुनीता कुमारी, अनीता कुमारी, शीला रानी व जोगिंदर कौर शामिल हैं, मामला नंबर 174 तिथि 22 नवंबर 2019, माइनिंग एक्ट) पर मामला दर्ज करके अपने फर्ज की इतिश्री कर डाली और जांच के नाम पर नतीजा शून्य। यह कार्यवाही पटवारी द्वारा जमीन के मालिकाना हक की सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर की गई, जबकि जमीन पर मौके पर काबिज कौन है मामला उसी पर बनता था व उससे ही पूछताछ होनी चाहिए थी कि उसने मिट्टी किसे उठवाई व इसके लिए मिट्टी उठाने वालों ने सरकार से परमिट ले रखा है या नहीं। लेकिन मामले में न तो माइनिंग विभाग न और न ही पुलिस ने इस बात की छानबीन जरुरी समझी कि असल काबिज कौन से पार्टी है व किसे मिट्टी उठाने की इजाजत दी गई। अगर, विभाग या पुलिस ने इस संबंधी मशीनरी के मालिक और राजनेताओं की भूमिका संबंधी कोई जांच की है तो उसे मीडिया के माध्यम से जनता को बताना चाहिए कि अवैध तौर से सरकार को चूना लगाने वाली काली भेड़ें आखिर हैं कौन। इसमें वन विभाग, माइनिंग विभाग और पुलिस की कथित मिलीभगत की भी जांच की जानी चाहिए, क्योंकि प्राप्त जानकारी अनुसार इतने बड़े स्तर पर किए गए अवैध खनन की जानकारी उक्त विभागं को न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। यह भी जग जाहिर होना चाहिए कि आखिर वे कौन से नेता हैं जो अपने प्रभाव के चलते ऐसे लोगों को आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं। जबकि यब बात सभी जानते हैं कि मामला भाजपा और कांग्रेस से जुड़े किन नेताओं से संबंधित है तथा हर कोई चुप्पी साधे बैठा है, जबकि जिन अधिकारियों पर दूध का दूध पानी का पानी करने का जिम्मा है वे भी खानापूर्ति करने में लगे हैं व मामला घुमाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

अब जबकि दोनों पक्षों से जुड़े नेताओं ने कार्यवाही की वकालत की है तो गेंद पूरी तरह से अधिकारियों के पाले में है तथा अब देखना यह होगा कि वे अपने कर्तव्य के प्रति कितने निष्ठावान हैं। वे सत्य के साथ चलते हैं या फिर किसी दवाब में मामले को लटकाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

डाडा ही नहीं बल्कि अन्य स्थानों पर मिलीभगत के खेल से चल रहे अवैध माइनिंग का सारा धंधा पंजाब सरकार की खनन विरोधी नीति को मुंह चिढ़ाते हुए और प्रशासन से जुड़े कई अधिकारियों की कथित मिलीभगत से सरकार की जनहित में बनाई नीतियों को बौना साबित करने में लगे हैं। जिसके चलते अकसर ही गरीब ट्रैक्टर-ट्राली चालक पर मामला दर्ज कके बड़े मगरमच्छों को बचाने के प्रयास पर्यावरण और सरकार के कुशल प्रशासनिक तंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए मामला जा रहा है कि अगर, उक्त मामले की परतें खुल जाएं तो और कई मामलों तथा राजसी व संबंधित विभागों की मिलीभगत से भी पर्दे उठ जाएगा। मामले को लटकाकर मशीनरी व असल आरोपियों को इधर से उधर करने का समय दिया जा रहा है तथा पहुंच और असर-रसूख का प्रयोग करने के दरवाजे किसी षड्यंत्र के तहत खोले जा रहे हैं। इस सारे खेल में कितना लेन-देन हुआ, कहां-कहां हुआ और किसके माध्यम से हुआ, किसे-किसे हुआ और सरकार को टैक्स व परमिट फीस के रुप में कितना चूना लगाया गया, ऐसे कई सवाल है जिनसे पर्दा उठाना जरुरी है ताकि भविष्य कोई भी गैरकानूनी कार्य न कर सकें।

पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार रेत और मिट्टी की कमी के कारण लगभग प्रत्येक विकास कार्य प्रभावित हो रहा है तथा अवैध माइनिंग का कोई भी मामला प्रकाश में आने पर वैध तौर से काम करने वालों पर भी तलवार लटक जाती है। हालांकि पूरे प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर वैध और अवैध तौर से माइनिंग से जुड़े मामले प्रकाश में आ रहे हैं, परन्तु भूगौलिक दृष्टि से महत्पूर्ण होशियारपुर अकसर ही माइनिंग को लेकर सुर्खियों में रहा है। इसलिए जहां जल्द से जल्द इस संबंधी अवैध खनन के मामले का जल्द निपटारा किया जाना चाहिए वहीं इस संबंधी कोई सरल पॉलिसी बनाकर लागू की जानी चाहिए ताकि विकास कार्य व इस कार्य से जुड़े लोगों का रोजगार प्रभावित न हो तथा आम लोगों की जरुरतें भी पूरी होती रहें। इसके साथ-साथ वन व माइनिंग विभाग को भूमि की संभाल संबंधी अपने कर्तव्य की निर्वाह पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करने की जरुरत है, जिसमें अभी तक कई खामियां हैं। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि अगर कोई अवैध खनन करता है तो उस पर की गई कार्यवाही राजनीतिक एवं प्रशासनिक दवाब से रहित होनी चाहिए व इनके हस्ताक्षेप पर पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए।

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