नारी दिवस: नाईस में हर दिन होता है नारी शक्ति के नाम

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। माल रोड स्थित नाईस कम्पयूटरज़ होशियारपुर व चब्बेवाल में इन्सपाईरिंग चेंज विद ऐजूकशन पर आधारित अन्र्तराष्ट्रीय नारी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर संस्थान के युवा छात्र-छात्राओं व टीम द्वारा असल जीवन के अपने अपने विचार सांझे करने को प्रेरित किया, ताकि उनकी दैनिक दिनचर्या से जुड़े संघर्ष को समझा जा सके। पिछले 29 सालों से होशियारपुर में नाईस नेे अपनी उपलब्धियों से न केवल अपना खुद का एक मुकाम बनाया है बल्कि हज़ारों लड़कियों और महिलाओं के ऐजूकेशनल ऐम्पावरमेंट में अलग अलग तरीके से अपना रोल अदा किया है। सेंटर संचालिका स्वीन सैनी की कोशिश रही है कि अपने आसपास की हर स्तर और क्षेत्र की महिला को जागरूक, शिक्षित और अपने पैरों पर खड़ा होने के लिये सक्षम कर सकें।

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ऐसी अनेकों मिसालों में से एक मौजूदा कोर्स कोऑरडीनेटर किटी का कहना है कि ज़रूरत है निर्बल व निराष को उपयुक्त अवसर देकर उनकी क्षमताओं को निखारने की। नाईस ने उन्हें कुषल प्रबंधन और गज़ब की इच्छा शक्ति की प्रेरणा दी है जिससे उनके जीवन को नई दिशा मिली है। उन्हीं की टीम में कार्यरत सीनियर फैकल्टी मोनिका इसके बारे में कहती हैं कि हमें बड़े-बड़े भाड्ढणों में नारी शक्ति के उद्धारक नहीं वरन् प्रैक्टिकल स्तर पर असल जि़न्दगी में मार्गदर्षक और सहायक बनने वाले लोगों का समाज चाहिये और नाईस मे इसको हर पल कार्यरूप किया जाता है।

मैडम स्वीन सैनी से प्रेरित और ऐजूकेशन के सफर में उनके साथ चलती कम्यूनिकेषन स्किल्ज़ ट्रेनर गुरजीत ने नाईस में सार्थक तौर पर इस बात की ज़रूरत को समझा है कि महिलाओं को समाज के साथ के अलावा अपनी सामूहिक ताकत को भी साकार कर उपयोगी कामों में लगाने पर ध्यान देना चाहिये। साथ ही सक्षम, सबल और स्वछन्द होकर अपने सपनों की उड़ान भरने का पूरा हक आज जिन लड़कियों और महिलाओं को प्राप्त है, वे अन्य कमज़ोर, निराश या बेबस की ताकत बनें। इसी में नारी समाज और देष के उज्जवल भविष्य की संभावनायें निहित हैं। सेंटर में वेब डिज़ाईनिंग सीख रहे कंवरपाल सिंह ने अपने युवा साथियों को महिला सषक्तीकरण में सहयोग के लिये काबिल बनने की अपील की तो डीसीए कर चुकी रितिका ने खुद की सुरक्षा के लिये महिलाओं को स्वयं ही सक्षम व सबल होने की सलाह दी।

नारी- सृष्टि के आरम्भ से ही रचयिता ब्रह्मा से लेकर देवी देवताओं और सम्पूर्ण मानव जाति के लिये कौतुक और विस्मय का विड्ढय रही है। सदियों से उसकी प्रखरता, बौद्धिकता, सुघड़ता और कुषलता को परे रख अधिकतर उसके रंग-रूप, यौवन, आकार और नैन नक्ष के आधार पर परखा गया है। वड्र्ढों पहले स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति का सर्वोत्तम थर्मामीटर है वहां की महिलाओं की स्थिति। और मेरे देष में वही नारी एक ओर सामाजिक हमलों से प्रताडि़त और दूसरी ओर महिला दिवस मनाने के आडम्बरों के बीच अनेकों उपलब्धियों को हाथ में थामे, अपने अस्तित्व के सही मायने तलाष करती हुई खड़ी है- एक और दिवस के मुहाने पर।

यह गम्भीर विचार रखते हुये षहर की प्रमुख महिला उद्यमी स्वीन सैनी आम जीवन में महिलाओं के बारे में समाज के नज़रिये के प्रति चिन्तित नजऱ आई। उनके अनुसार साल में एक दिन मनाने के लिये महिलाओं की स्थिति या उससे जुड़ी समस्याओं पर विचार विमर्ष या गोष्ठियां कर लेने के बजाय क्या हर नागरिक और सामाजिक संस्थाओं को वास्तव में लीक से हटकर कुछ नहीं करना चाहिये? उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बदलते समय और वैष्वीकरण के दौर में नारी की छवि बकायदा बदल रही है। महिलाओं का एक बहुत बड़ा तबका अपनी एक अलग पहचान बनाने में जुटा है, सो ज़रूरत है हर औरत को उस मुकाम के लिये तैयार करने की जहां वह अपनी समस्याओं को अपने ढंग से स्वयं सुलझा सके और सुरक्षित माहौल में सांस ले सके। दो बेटियों की मां स्वीन सैनी के अनुसार जब जब सकारात्मक सोच रख हम अपनी बेटियों को गर्व से अपने सपनों की उड़ान भरने की ताकत देते हैं तभी अचानक समाज में व्याप्त नकारात्मक घटनायें डर बनकर उन्हें घेर लेने की कोषिष करती हैं।

मौजूदा हालातों के मद्देनजऱ अपनी व अनेकों भारतीय बेटियों की तमाम उपलब्धियों पर मुस्कुराने पर भारी पड़ती है कोई एक मासूम और मार्मिक चीख। तथाकथित प्रगतिशील समाज में बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ के नारों के बीच अत्याचारियों और बलात्कारियों को छूट और पीडि़ताओं को सज़ा मिलना हमें शर्मिन्दा कर देता है। इसीलिये ज़रूरी है देश के सत्ता लोभी आकाओं से नियमों कानूनों की गुहार लगाने की बजाय हर आम नागरिक को स्वयं पहल करनी होगी। कार्यक्रम के अन्त में सेंटर डायरेक्टर प्रेम सैनी ने अपने विचार व्यक्त करते हुये अपील की कि आज बेटियों को केवल स्वावलम्बी और षिक्षित बनाने से नहीं चलेगा, स्त्रियों के सम्मान व संरक्षण की जि़म्मेवारी लेते हुये अपनी खुद की सोच और महिलाओं के प्रति नज़रिया बदलना ही एकमात्र हल है।

अपने जीवन को दांव पर लगाकर वंश चलाने वाली समाज, परिवार व देष की आधारशिला इस नारी को यदि हम पुरूष भयमुक्त वातावरण देने और आत्मसम्मान के साथ खड़ा करने में सहयोगी बन सकें तो यह समस्त समाज के लिये ही गौरव की बात होगी। और इसकी षुरूआत हर व्यक्ति को घर से करनी होगी। महिला दिवस के इस समारोह में मंच संचालन हिमानी व गरप्रीत ने बखूबी निभाया और फन गेम्स, गीत संगीत व डांस का आयोजन भी किया गया।

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