हमीरपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। लॉकडाउन में परेशान जनता की फीडबैक ने यह साबित कर दिया है कि सरकार से लॉकडाउन के फैसले को लेकर लगातार चूक हुई है। यह बात राज्य उपाध्यक्ष एवम विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस बयान में कही है। राणा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा देश के उत्तरी क्षेत्र में फंसे हिमाचलियों की समस्याओं को सुनने व उनका यथासंभव निवारण करने के लिए अधिकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि जनता से मिल रही फीडबैक में यह सपष्ट हो रहा है कि सरकार ने कोरोना वायरस की गंभीरता को समझने में देर करके लॉकडाउन का फैसला भी देरी से लिया है। इस बड़ी चूक के कारण देश आज दुर्दशा की दशा में है। क्योंकि कोरोना वायरस आखिर आया तो विदेशों से ही है। राणा ने कहा कि अगर देश के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्टों को फरवरी के अंतिम हफ्ते में भी सीज कर दिया होता तो आज देश के ऐसे हालात न होते। राणा ने कहा कि लोगों का कहना है कि जिस तरह न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ने लोगों के सामने आकर लॉकडाउन की घोषणा करते हुए 48 घंटों का समय दिया था।
लोगों की फीडबैक बता रही है कि लॉकडाउन/करफ्यू के फैसलों में देरी भी हुई है और चूक भी
अगर सरकार उसी समझदारी से काम लेती हुई जनता कफ्र्यू के ऐलान के समय लोगों को लॉकडाउन के लिए आगाह कर देती तो अधिकांश लोग जहां अपना रस्द-पानी जमा कर सकते थे, वहीं समय मिलने के कारण अपने-अपने घर पहुंच कर क्वारिंटाइन रह सकते थे। उन्होंने कहा कि लोग बता रहें कि कफ्र्यू के मामले को लेकर सरकार ने दूसरी बड़ी चूक की है। जिस कारण से आज देश भर में लोग बाहर फंस कर बाहर तड़प रहे हैं। राणा ने कहा कि लोग बता रहे हैं कि जिस तरह 22 मार्च को जनता कफ्र्यू का एलान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब देश के सामने लाइव आए थे तभी अगर यह एलान कर देते कि दो दिन बाद देश में 4 हफ्तों का लॉकडाउन रहेगा। क्योंकि लॉकडाउन 24 तारीख को अचानक किया गया था, जिसकी जनता को कोई उम्मीद नहीं थी। इस अचानक हुई घोषणा से जो जहां था जैसे था वहीं फंस कर रह गया। यह सरकार की दूसरी बड़ी चूक थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की फीडबैक की अगर वह बात करें तो प्रदेश के बाहर अभी भी लाखों लोग घर आने को तड़प रहे हैं। जिनमें वह बेटियां भी शामिल हैं जो पढऩे के लिए बाहरी राज्यों में गई थीं। वह मरीज भी शामिल हैं जो इलाज करवाने के लिए दिल्ली, चंडीगढ़ या मुंबई गए थे। राणा ने कहा कि ऐसे भी लोगों के फोन आए हैं कि वह अपनी बेटी की शादी का इंतजाम करने के लिए राज्य से बाहर गए थे, अब वो वहीं फंस कर रह गए हैं जबकि बेटी घर पर कैद है। राणा ने कहा कि लॉकडाउन घोषणा से पहले इन सबको 2 दिन का वक्त मिल जाता तो ऐसे हालात न होते। राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार को चाहिए कि दूसरे राज्यों की तर्ज पर अपने लोगों को घर लाने का प्रयास करे। क्योंकि अब लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा है। यूपी, गुजरात, राजस्थान की सरकारें अपने राज्य के लोगों को घर ले जा चुकी हैं। ऐसे में हिमाचल सरकार किसका इंतजार कर रही है। सरकार लोगों को घर लाए, उनका बोर्डर पर मेडिकल चेकअप करे फिर उन लोगों को घरों में कड़ी हिदायत के साथ क्वारिंटाइन करे। अगर फिर कोई नियम तोड़ता है तो बेशक कार्रवाई करे लेकिन घर आने का अधिकार सबको है और सरकार जनता की इस तड़प को समझे।