टांडा उड़मुड़ (द स्टैलर न्यूज़)। पर्यावरण सुरक्षा तथा जमीन की उपजाऊ शक्ती को बरकरार रखने के लिए किसान गेहूं के अवशेषों को जलाने की बजाए उसे खेतों में ही मिला दें। यह जानकारी ब्लाक खेतीबाड़ी अधिकारी डा. सतनाम सिंह ने दी। उन्होंने कहा कि फ़सल के अवशेषों को जलाने से जहां पर्यावरण को नुक्सान होता है वहीं सडक़ों के किनारे लगे पेड़ पौधे तथा खेतों में मित्र कीड़े भी नष्ट हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि गेहूं के अवशेष की तूड़ी बनाने के बाद खेतों की साइडों पर बचने वाले नाड़ को आसानी से ज़मीन में हल चला कर मिलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में धान की बिजाई होने वाली है इसलिए किसानों को अपने खेतों में मूंगी या जंतर बीज कर हरी खाद तैयार कर लेनी चाहिए। ब्लाक खेतीबाड़ी अधिकारी ने कहा कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों अनुसार जिला मजिस्ट्रेट ने गेहूं के अवशेषों को जलाने पर पूर्ण पाबंदी लगाई हुई है। उन्होंने किसानों को अपील की कि पर्यावरण को दूषित होने से बचाने तथा ज़मीन की उपजाऊ शक्ती को बरकरार रखने के लिए फसलों के अवशेष न जलाएं। उन्होंने कहा कि गेहूं के अवशेष जलाने वालों के विरुद्ध कार्यवाई भी की जाएगी।