खूली खेल में घायल हुआ एक आरोपी फरार, बड़े शहर के अस्पताल किया था रैफर

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-श्री कृष्ण जन्माष्टमी वाले दिन का खूनी खेल का मामला-न अस्पताल पहुंचा और न ही किसी को पता आखिर गया कहां-

होशियारपुर, 11 सितंबर: श्री कृष्ण जन्माष्टमी वाले दिन ड.ए.वी. स्कूल के समक्ष हुए खूनी खेल वाले मामले से संबंधित एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि खूनी खेल में घायल हुए एक पक्ष से संबंधित युवक अस्पताल से गायब हो गया है। वह कहां गया या उसे कहां लेजाया गया इसे लेकर पशोपेश की स्थिति बनी हुई है और पुलिस अधिकारी भी इसमें कुछ भी बोलने से परहेज ही कर रहे हैं। वैसे भी जिस दिन से यह घटना हुई है उसी दिन से पुलिस की मामले को लेकर बरती जा रही उदासीनता के चलते पुलिस की कार्यवाही पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। मामले में बढ़ते राजनीतिक दखल के चलते जहां पुलिस पहले ही बेबस दिखाई दे रही थी वहीं घटना के मुख्य कथित आरोपियों में से एक दिलबाग बागी का इस तरह से अस्पताल से गायब हो जाना सवालों के घेरे में है। झागड़े में बागी की पीठ पर गोली लगी थी, जो पसलियों में फंस गई थी। उसे पहले होशियारपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां से जालंधर के एक अस्पताल में रैफर कर दिया गया था। सूत्रों से मिली जानकारी जालंधर अस्पताल से भी उसे चंडीगढ़ के किसी अस्पताल में रैफर किया गया था, मगर उसे कहां ले जाया गया इसकी जानकारी किसी को नहीं है। जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि वे गिरफ्तारी के डर से फरार हो गया है। जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिंह सा लग गया है। इस मामले में अब तक पुलिस द्वारा कार्रवाई पर नजर डालें तो पुलिस ने सरेआम हुए इस घटनाक्रम को गंभीरता से लिया ही नहीं। पहले तो पुलिस बयानों का इंतजार करती रही और तर्क दिया गया कि कोई भी पक्ष बयान देने के काबिल नहीं है, जौकि एक पक्ष के घायल मीडिया को सारी बात बता रहे थे। उसके बाद जब दोनों पक्षों से पुलिस को बयान मिले तो उसके आधार पर एफ.आई.आर. कर दी गई। पर सवाल पैदा होता है कि पुलिस इतने दिन बीत जाने के बाद भी न तो घटनाक्रम में प्रयोग किए गए हथियार बरामद कर पाई और न ही हमलावरों में से किसी एक को भी गिरफ्तार किया गया है। जिससे पुलिस की कार्यवाही से मिलीभगत की बू आने से इंकार नहीं किया जा सकता कि कहीं न कहीं पुलिस राजनीतिक दवाब के चलते भी हमलावरों को बचाने का प्रयास कर रही है। अगर ऐसा न होता तो पुलिस द्वारा अब तक किसी एक आरोपी को पकड़ पूछताछ कर लेनी चाहिए थी। इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया गया पर उनसे बात नहीं हो पाई।

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