होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। सीबीएसई एफिलिएटिड, चंडीगढ़ रोड पर स्थित एकेडमिक हाइट्स पब्लिक स्कूल की मैनेजमेंट के द्वारा बनाया गया स्टूडेंट एसेसमेंट प्रोग्राम(सैप) सॉफ्टवेयर लोकडाउन के दौरान विद्यार्थियों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए किसी वरदान की तरह साबित हो रहा है। स्कूल की डीन रीतिका मेहता ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान भी हमारी प्राथमिकता विद्यार्थियों को क्वालिटी एजुकेशन देना है। इसके लिए हम हमारे विद्यार्थियों के लिए खुद के बनाए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका नाम सैप है। यह सॉफ्टवेयर निशुल्क विद्यार्थियों को इस्तेमाल करने के लिए दिया जाता है। इसमें बहुत सारे ऐसे फीचर्स हैं जो कि विद्यार्थियों को लॉक डाउन में पढ़ाई जारी रखने मे बहुत मददगार साबित हो रहे हैं। विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए इस सॉफ्टवेयर में इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे पहले फीचर का नाम है वीडियो कॉल।
इस फीचर के द्वारा हम अपने विद्यार्थियों के लिए लाइव ऑनलाइन क्लासेस चला रहे हैं, जिसमें विद्यार्थी वीडियो कॉलिंग के द्वारा अपने अध्यापक को देख पा रहे और उन्हें सुन पा रहे हैं, और विद्यार्थी अपने अध्यापक से अपने प्रश्नों के उत्तर भी पा रहे हैं। जो विद्यार्थी भी लाइव ऑनलाइन क्लास में भाग लेते हैं उनकी अटेंडेंस भी हमारे सिस्टम में अपने आप ही लग जाती है, जोकि अध्यापक तक पहुंच जाती है और विद्यार्थियों के माता पिता तक भी पहुंच जाती है। हमारे दूसरे फीचर का नाम है वीडियो नोट्स। लाइव ऑनलाइन क्लासेस के दौरान अगर इंटरनेट की स्पीड कम होने की वजह से या फिर और किसी वजह से अगर विद्यार्थी अपने अध्यापक को ना देख पाए या फिर सुन न पाए तो हमारे वीडियो नोट्स वाले फीचर में जाकर वे अध्यापक द्वारा पढ़ाये गए विषय का वीडियो देख सकते हैं, जिसे अध्यापक द्वारा खुद बनाकर अपलोड किया जाता है। हमारे तीसरे फीचर का नाम सब्जेक्ट नोट्स है। इस फीचर में अध्यापक द्वारा पढ़ाए गए विषय के सारे नोट्स विद्यार्थियों तक भेजें जा रहे हैं, जिन्हें देखकर विद्यार्थी अपना सारा क्लासवर्क और होमवर्क पूरा कर रहे हैं।
हमारे चौथे फीचर का नाम है टॉक विद टीचर। लाइव ऑनलाइन क्लास , वीडियो नोट्स और सब्जेक्ट नोट्स में पढ़ाये गए किसी विषय को अगर विद्यार्थी ठीक तरीके से नहीं समझ पाया हो, तो हमारे टॉक विद टीचर फीचर का इस्तेमाल करके विद्यार्थी अपने प्रश्न को अपनी ही आवाज में रिकॉर्ड करके अलग-अलग विषय पढ़ाने वाले अध्यापको तक भेज सकता है, और विद्यार्थी का प्रश्न सुनने के उपरांत अध्यापक भी प्रश्न का उत्तर अपनी ही आवाज में रिकॉर्ड करके विद्यार्थी को भेज सकते हैं। इस फीचर में विद्यार्थी लिखकर भी अपने प्रश्न का उत्तर पूछ सकते हैं, और अध्यापक भी लिखकर इसका जवाब दे सकते हैं।
हमारे पांचवें फीचर का नाम है सेंड होमवर्क। इस फीचर के द्वारा विद्यार्थी अपनी नोटबुक्स में किए गए क्लासवर्क और होमवर्क को चेकिंग के लिए अपने अध्यापक तक भेज रहे हैं। विद्यार्थी द्वारा भेजा गया सारा काम अध्यापक द्वारा चेक करने के उपरांत विद्यार्थी द्वारा क्लासवर्क या होमवर्क में की गई गलतियां भी अध्यापक द्वारा सॉफ्टवेयर की मदद से ही विद्यार्थियों को बताई जा रही हैं और विद्यार्थी को रिमाक्र्स भी दिए जा रहे हैं।
हमारे छठे फीचर का नाम है ऑनलाइन टेस्ट। इस फीचर में अध्यापक द्वारा विद्यार्थियों को ऑनलाइन टेस्ट भेजा जाता है, जोकि हर विद्यार्थी के लिए भिन्न होता है और यह टेस्ट एक निर्धारित समय पर अपने आप शुरू होने के बाद समय अवधि समाप्त होने पर अपने आप ही बंद हो जाता है। पूछे गए प्रश्नों के जो भी उत्तर विद्यार्थी द्वारा इस टेस्ट में दिए जाते हैं, टेस्ट की अवधि खत्म हो जाने के बाद हमारे सॉफ्टवेयर के द्वारा अपने आप उसकी चेकिंग कर दी जाती है और विद्यार्थी द्वारा अर्जित किए गए अंक भी उसी समय पर विद्यार्थी को पता लग जाते हैं। इस सॉफ्टवेयर में जितने भी फीचर इस्तेमाल किए जाते हैं, उन सब फीचर्स में विद्यार्थी अपने अध्यापक के साथ वन टू वन वार्तालाप करते हैं, मतलब यह की विद्यार्थी द्वारा अपने अध्यापक के साथ की गई किसी भी तरह की वार्तालाप सिर्फ उसके अध्यापक को ही पता होती है, अन्य किसी भी विद्यार्थी को इस वार्तालाप के बारे में कुछ भी पता नहीं होता।
रीतिका मेहता ने बताया कि अगर कोई इतने सारे फीचर्स पाना चाहे तो उसे कई तरह के ऐप्स का इस्तेमाल करना पड़ेगा, परंतु हमारे स्कूल में हमने अपने सॉफ्टवेयर जिसका नाम सैप है, के अंदर ही यह सारे फीचर्स अपने विद्यार्थियों को दे रखे हैं। उन्होंने कहा कि हम मोबाइल फोन पर उपलब्ध किसी भी अन्य ऐप या कंपनी द्वारा दी जा रही सेवाओं को इस्तेमाल नहीं करते हैं, क्योंकि इस तरह की एप्स को इस्तेमाल करना कितना सुरक्षित है या नहीं, इसके बारे में पूरी तरह से कोई भी नहीं जानता है। इस वजह से सुरक्षा का ध्यान रखते हुए हम किसी भी बाहरी ऐप का इस्तेमाल न करके अपने स्कूल द्वारा बनाए गए सॉफ्टवेयर को ही इस्तेमाल करते हैं और इसे विद्यार्थियों के अभिभावकों द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है और सराहा जा रहा है।