नई पंचायतों के गठन से जब सरकार के विधायक ही नहीं संतुष्ट तो जनता कैसे होगी संतुष्ट: राणा

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़)। आनन-फानन में बनाई गई पंचायतों से जहां सरकार ने एक ओर जन विश्वास छला है, तो वहीं दूसरी ओर अफरा-तफरी के माहौल में बनी पंचायतों के कारण सरकार की मनमानी भी दर्ज हुई है। यह बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में आनन-फानन में 230 नई पंचायतों का गठन किया गया है। इसके लिए सरकार ने क्या क्राइटेरिया फिक्स किया है, समझ से बाहर है। राणा ने कहा कि उनके जिला हमीरपुर में 9 पंचायतों का गठन किया गया है। जिनमें से उनके विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर की ग्राम पंचायत दरोगणपति कोट में 3100 से ज्यादा वोटर हैं। जबकि चबुतरा ग्राम पंचायत में 2600 से ज्यादा वोटर हैं। लेकिन इन पंचायतों में सरकार ने क्या मानदंड अपनाए हैं। स्थिति सपष्ट करनी होगी। जबकि सुजानपुर की चारियां-दी-धार ग्राम पंचायत में सडक़ मार्ग से एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक पहुंचने के लिए 26 किलोमीटर का फासला तय करना पड़ता है।

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यहां स्थानीय जनता द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर गौर करके जन भावनाओं के मुताबिक सरकार को फैसला लेना जरूरी है। लेकिन सरकार ने मनमर्जी का क्राइटेरिया लगाकर सुजानपुर की चारियां-दी-धार में जन समस्याओं का सरेआम नजरअंदाज किया है। राणा ने सुजानपुर में ग्राम पंचायतों के गठन को लेकर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को चि_ी लिखी है, ताकि लोगों को न्याय मिल सके। राणा ने कहा कि नियमानुसार सरकार को पंचायतों के गठन का प्रोसेस 1 वर्ष पहले शुरू करना चाहिए था, ताकि जन प्रतिनिधियों व जनता को आपत्तियां दर्ज करवाने का पूरा समय मिलता, लेकिन सरकार ने जन भावनाओं को नजरअंदाज करते हुए पंचायतों के गठन में अपनी मनमानी दिखाई है। प्रदेश में सबसे ज्यादा मंडी जिला में 65 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई हैं। इतनी बड़ी तादाद में नई पंचायतें बनाकर सरकार ने फिर संदेश दिया है कि मंडी में सरकार हर मामले में प्रदेश से अलग मानदंड तय करती है। राणा ने कहा कि पंचायतों के गठन से जनता का संतुष्ट होना तो एक तरफ की बात है, लेकिन पंचायतों के गठन से सरकार के अपने मंत्री, विधायक तक भी संतुष्ट नहीं हैं। इसी कारण से पंचायत राज मंत्री के अपने जिला ऊना के अंब में 2 नई पंचायतों के गठन का गुस्सा जब सरकार पर फूटा तो सरकार ने अपनी अदा व आदत के अनुसार यू-टर्न लेते हुए अंब में नगर पंचायत बनाने की अधिसूचना जारी कर दी है।

घंटों में नई अधिसूचना जारी करना बताता है कि नई पंचायतों के गठन का फैसला जनता को ही नहीं सरकार के अपने विधायकों को भी नागंवार गुजरा है। जिस कारण से जहां एक ओर सरकार के इस फैसले से जन प्रतिनिधि खफा हैं, वहीं सरकार का अपना सिस्टम भी नाराज है। राणा ने कहा कि सरकार के अविवेकपूर्ण फैसलों के कारण सरकार के अपने विधायकों व मंत्रियों में सरकार के प्रति गहरा आक्रोश निरंतर बढ़ रहा है। अगर सरकार के विधायकों को भी इस्तीफे की धमकियां देकर जनहित के काम करवाने हैं तो आम आदमी के काम कैसे होंगे। आम जनता की बात कब सुन रही होगी। यह अपने आम में एक बड़ा सवाल है, जो कि सरकार की तानाशाही व अविवेकपूर्ण फैसलों को उजागर कर रहा है। राणा ने कहा कि कांग्रेस को नई पंचायतों के गठन पर कतई आपत्ति नहीं है। लेकिन लोकतंत्र में हर एक काम का तरीका व सलीका होता है। जिस पर सरकार कतई खरी नहीं उतर पा रही है। अगर नई पंचायतों का गठन करना जरूरी था तो इस प्रोसेस को समय से शुरू करके सरकार जनता व जनप्रतिनिधियों को पूरा समय देती, ताकि लोगों को सोच समझ कर आपत्तियां दर्ज करने का पूरा समय मिलता। लेकिन आनन-फानन में फैसले लेने वाली सरकार ने नई पंचायतों का गठन अफरा-तफरी के बीच किया है। जिसको लेकर न जन प्रतिनिधि संतुष्ट, न ही जनता संतुष्ट है।

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