होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब सरकार द्वारा लोगों को एक स्थान पर ही सभी सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से सेवा केन्द्र खोले गए थे। लेकिन, सेवा केन्द्रों का प्रबंधन प्राइवेट हाथों में होने के चलते उन्हें सरकार व सरकारी तंत्र का जहां जरा भी डर नहीं है वहीं, उन्हें लोगों की परेशानियों से भी कोई लेना देना नहीं है। जिसके चलते सेवा केन्द्रों में आने वाले अधिकतर लोग निराश होकर सरकार को कोसते हुए बार-बार चक्कर लगाकर काम करवाने को मजबूर हो रहे हैं। जिला हैड क्वार्टर पर मिनी सचिवालय में स्थित सेवा केन्द्र जनता की ऐसी सेवा कर रहा है कि उसे जिला मैजिस्ट्रेट-कम-जिलाधीश के आदेशों की भी कोई परवाह नहीं है।
सेवा केन्द्र के स्टाफ के व्यवहार से ऐसा लगता है कि हाल ही में जिलाधीश द्वारा सेवा केन्द्रों में सुबह 9 से सायं 5 बजे तक सेवाएं देने के आदेश को वह टिच्च जानते हैं, जिसके चलते वह घड़ी पर 3 भी नहीं बजने देते कि लोगों को अगले दिन आने की बात कहकर काम बंद कर देते हैं। सेवा केन्द्र के स्टाफ की मनमानी के चलते आए दिन मीडिया द्वारा लोगों की समस्याओं को उजागर किए जाने के बावजूद भी प्रशासन द्वारा इस तरफ सख्त कदम न उठाने से लोगों का रोष और भी बढ़ रहा है। एक तरफ पहले ही कोरोना के कारण सारा सिस्टम हिला हुआ है वहीं, अगर सरकार द्वारा सेवाएं देने के निर्देशों का पालन करने की जगह सेवा केन्द्र के स्टाफ की मनमर्जी लोगों में सरकार के प्रति नफरत भर रही है। सेवा केन्द्र स्टाफ की मनमर्जी का शिकार हुए रोहित हंस निवासी हीरा कालोनी ने बताया कि उसकी भतीजी के जन्मप्रमाण पत्र संबंधी वह सुबह 9 बजे सेवा केन्द्र में आया था, करीब 2 घंटे लाइन में लगने के बाद जब उसकी बारी आई तो काउंटर पर बैठी मैडम ने उन्हें बच्ची की माता को बाद दोपहर 2 बजे के बाद साथ लाने की बात कही। बाद दोपहर जब वह दोबारा सेवा केन्द्र पहुंचा तो उसकी बारी आते-आते 3 बज गए थे, जब वह काउंटर के समीप पहुंचे तो मैडम ने कहा कि “अब 3 बज गए हैं फिर किसी दिन आना अब काम बंद हो गया है।” उसने कहा कि वह और उसकी भाभी घर पर छोटी बच्ची को व अपना काम छोडक़र आए हैं, तो भी मैडम पर कोई असर नहीं हुआ।
रोहित ने बताया कि उनके पास टोकन होने के बावजूद भी किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। उन्होंने वहां मौजूद अन्य स्टाफ सदस्यों से बात करने का प्रयास किया लेकिन किसी ने भी सीधे मुंह बात नहीं की बल्कि वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड का रवैया भी रूखा था। रोहित ने बताया कि वह अकेले ही ऐसे शख्स नहीं थे जो यहां आकर परेशान हुए बल्कि बहुत सारे लोगों को स्टाफ की बेरूखी का सामना करते हुए परेशान देखा गया हैउनके पास टोकन होने के बावजूद भी किसी ने उनकी बात नहीं सुनी।। उन्होंने बताया कि कागजात तैयार करने के दौरान फाईल भरने वाले को नंबरदार, सरपंच, पंच, पार्षद व फस्ट क्लास अधिकारी के साइन तक करवाने पड़ते हैं, तथा लोग दूर-दराज से औपचारिकताएं पूरी करके जब सेवा केन्द्र में अपना काम करवाने आते हैं, तो लंबी लाइन में लगने के बाद स्टाफ द्वारा कोई न कोई त्रुटि निकालकर वापिस भेज दिया जाता है। जबकि, सेवा केन्द्र में फाईल जमा करवाने से पहले उसे किसी कर्मचारी द्वारा चैक करने का प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि लोगों को लंबी लाइन में लगने के बाद स्टाफ की बेरूखी का सामना न करना पड़े। उन्होंने सरकार व जिलाधीश से मांग की कि उनके द्वारा जारी आदेशों को सेवा केन्द्रों में लागू करवाया जाए ताकि सेवा केन्द्र सायं 5 बजे तक सेवाएं दे सकें तथा इसके साथ ही स्टाफ को शिष्टाचार की नैतिक शिक्षा भी प्रदान की जाए ताकि वह जहां आने वाले लोगों के साथ सभ्य भाषा में बात कर सकें।