गांव ढक्की का प्रगतिशील किसान अमनदास 5 वर्षों से पराली को आग न लगाकर खेतों में ही कर रहा है प्रबंधन

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। जिले के गांव ब्लाक भूंगा के गांव ढक्की का प्रगतिशील किसान अमनदास पिछले पांच वर्षों में पराली को आग न लगाकर खेतों में ही इसका प्रबंधन कर रहा है। ऐसा कर वह न सिर्फ वातावरण सरंक्षण में अपना योगदान दे रहा है बल्कि अधिक झाड़ भी प्राप्त कर रहा है। फाइन आटर््स में ग्रेजुएट अमनदास 20 एकड़ में खेती करता है, जिसमें 10 एकड़ उसकी अपनी है व 10 एकड़ उसने ठेके पर ले रखी है। वह करीब 15 एकड़ में गेहूं व धान की बिजाई करता है व बाकी जमीन में कमाद, आलू, पापुलर आदि की खेती करता है।

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एस.एम.एस लगी कंबाइन से करता है धान की कटाई

किसान अमनदास ने बताया कि शुरुआती समय में गेहूं की बिजाई संबंधी उसके मन में बहुत शंकाए थी पर कृषि व किसान भलाई विभाग के सहयोग व दिशा निर्देश पर जब उसने गेहूं की बिजाई की तो उसकी सभी शंकाए दूर हो गई। उसने बताया कि वह धान की कटाई एस.एम.एस लगी कंबाइन से करवाता है, जिससे पराली के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाते हैं व सारे खेत में उसे बिखेर देता है। इसके बाद बिना बाही के बड़ी आसानी से हैप्पी सीडर पराली वाले खेतों में चल सकता है, जिसके परिणामस्वरुप धान वाले खेत की नमी का प्रयोग करते हुए गेहूं की बिजाई हो जाती है व समय, पानी, डीजल व नदीन नाशकों की काफी बचत होती है। अमनदास ने बताया कि पराली जमीन में मिलाने से जमीन मुलायम हो जाती है व जैविक पदार्थों में वृद्धि होती है। इस तकनीक से खेत में नदीनो की समस्या नाम मात्र के बराबर देखने को मिलती है व नदीन नाशक का खर्चा भी बहुत कम होता है।

उन्होंने बताया कि कोविड-19 महांमारी दौर में पराली न जला कर खेतों में संभाल कर वातावरण प्रदूषण कम किया जा सकता है, वहीं इस महांमारी से बचाव के लिए योगदान पाया जा सकता है। उसने किसानों को संदेश देते हुए कहा कि वे पराली को खेतों में जलाए नहीं बल्कि उसका खेतों में ही प्रबंधन कर फायदा उठा सकते हैं, जिससे अच्छी फसल के साथ-साथ वातावरण भी साफ रहता है।

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