मंत्रीमंडल ने 7 ब्लॉकों में 78 स्थान अलॉट करने के लिए जल निकासी विंग को हरी झंडी दी

चण्डीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। राज्य में बड़े दरियाओं की निरंतर साफ़-सफ़ाई (डीसिलटिंग) और बाढ़ों का प्रकोप घटाने को यकीनी बनाने के लिए पंजाब सरकार ने दरियाओं की सफ़ाई के काम को माइनिंग ब्लॉक अलाट करने के लिए किये गए करारनामों का हिस्सा बनाने का फ़ैसला किया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल ने करारनामों में ज़रूरी संशोधन करने की मंजूरी दे दी है। इन बड़े दरियाओं, जिनमें संशोधित करारनामों के हिस्से के तौर पर रेत निकाली जानी है, में सतलुज, ब्यास और रावी के अलावा मौसमी नदियाँ घग्गर और चक्की शामिल हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक इस सफ़ाई से दरियाओं का पानी ले जाने की क्षमता बढ़ेगी और बिना किसी वातावरण प्रभाव से वाजिब भाव पर रेत और बजरी की उपलब्धता को यकीनी बनाया जा सकेगा। मंत्रीमंडल ने आज जल स्रोत विभाग के जल निकास विंग को 7 ब्लॉकों में 78 स्थानों को माइनिंग के ठेकेदारों को अलाट कर देने की मंजूरी दे दी है।

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इन स्थानों का कुल क्षेत्रफल 651.02 हेक्टेयर है और 274.22 लाख मीट्रिक टन की मात्रा में रेत -बजरी है। ब्लॉक में रोपड़ जि़ला शामिल है जबकि ब्लॉक -2 में एस.बी.एस. नगर (नवांशहर), जालंधर, बरनाला, संगरूर और मानसा, ब्लॉक -3 में मोगा, फिऱोज़पुर, मुक्तसर, फाजिल्का, बठिंडा और फरीदकोट, ब्लॉक -4 होशियारपुर और गुरदासपुर, ब्लॉक -5 में कपूरथला, तरन तारन और अमृतसर, ब्लॉक -6 में पठानकोट और ब्लॉक -7 में मोहाली, पटियाला और फतेहगढ़ साहिब शामिल हैं। मंत्रीमंडल ने यह भी फ़ैसला लिया कि भविष्य में यदि और दरियाओं की साफ़ -सफ़ाई की ज़रूरत हुई तो इसके लिए कंट्रैक्ट के मुताबिक रियायती मात्रा को ध्यान में रखते हुए मौजूदा प्रक्रिया के मुताबिक ही माइनिंग ठेकेदारों को पेशकश की जायेगी। जि़क्रयोग्य है कि अगस्त, 2019 में बाढ़ों से जल स्रोत विभाग के बुनियादी ढांचे को लगभग 200 करोड़ का नुक्सान होने के इलावा लोगों की फसलों और जायदाद को 1000 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ था। मुख्यमंत्री का नेतृत्व में 14 फरवरी, 2020 को हुई स्टेट कंट्रोल बोर्ड की मीटिंग के दौरान सम्बन्धित डिप्टी कमीशनरों ने भी यह मसला उठाया था।

जल स्रोत विभाग के जल निकास विंग की तरफ से अनुमान लगाया गया था कि दरियाओं के बैडों में 5 से 12 फुट तक कीचड़ जमा हो चुका है। यदि इसको निकाल दिया जाता है तो दरियाओं का सामथ्र्य 15,000 से 50,000 क्यूसिक तक सुधर सकता है। इस तरह तैयार की गई क्यूनिट के साथ दरियाओं की मीनडरिंग ऑक्शन पर रोक लग जायेगी और दरियाओं के बाँधों को नुकसान होने से बचाया जा सकेगा। यह मात्रा राज्य में रेत और बजरी के सालाना उपभोग से कम से -कम 15 गुणा ज़्यादा है। पंजाब में दरियाओं के बांध आदि बनाने से दरियाओं के बैड की काफ़ी ज़मीन कृषि के लिए खाली हो गई थी, परन्तु उसके उपरांत डीसिलटिंग का काम नहीं करवाया गया। हालाँकि, दरियाओं पर बांध बाँधने के कारण कीचड़ जमा होना दरियाओं के बाँधों तक ही सीमित हो गया। इससे पिछले सालों के दौरान दरियाओं के पानी ले जाने का सामथ्र्य कम हो गया है जोकि पिछले कुछ सालों के दौरान आए बाढ़ों की भयानकता का मुख्य कारण है। इससे विशेष तौर पर किसानों को बहुत सारा ज़मीनी नुक्सान सहना पड़ा और आर्थिक तंगी भी हुई।

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