-म्युनिसिपल एक्ट-1976 के अनुसार लावारिस पशुओं व गौधन की देखरेख है सरकार की जिम्मेदारी-सरकार ने बिजली बिल माफ का फैसला लागू न किया तो पंजाब स्तर पर छेड़ा जाएगा संघर्ष-
होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। जो काम सरकार को करना चाहिए उसे गौभक्त कर रहे हैं तथा सरकार इस कार्य में सहयोग के स्थान पर उल्टा गौभक्तों पर आर्थिक बोझ डालकर शोषण किया जा रहा है। अगर पंजाब की गऊशालाओं को लगाए बिजली के बिल पुन: लगाए जाने का फैसला वापस न लिया तो पंजाब के समस्त गौभक्त गौशालाओं से गऊ माता और गौधन को सडक़ों पर छोडऩे को मजबूर होंगे, अगर सरकार गऊशालाओं को कोई राहत नहीं दे सकती तो वे सरकार को सहयोग क्यों करेंगे। उक्त चेतावनी होशियारपुर में अलग-अलग गऊशालाओं को प्रबंधकों द्वारा आज यहां पत्रकारवार्ता में दी गई। इस मौके पर श्री हिन्दू गौरक्षिणी सभा गऊशाला के प्रधान एवं पंजाब गौसेवा आयोग के सदस्य डा. बिन्दुसार शुक्ला, नई सोच गौधाम के संस्थापक अश्विनी गैंद, स्वामी केश्वानंद गौशाला के अध्यक्ष विकास सहदेव
एवं योगेश सहदेव व अजय तथा गौभक्त अशोक शर्मा मौजूद थे। उन्होंने कहा कि म्युनिसिपल एक्ट-1976 के अनुसार लावारिस पशुओं की देखरेख करना एवं गायों एवं गौधन की संभाल सरकार की जिम्मेदारी है। परन्तु सरकार अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने के स्थान पर इस पुण्य कार्य में सरकार का सहयोग करने वालों पर बोझ डाल रही है। उन्होंने कहा कि गौशालाएं गायों एवं गौधन को संरक्षण लेकर सरकार को सहयोग कर रही हैं तथा पंजाब में 450 से अधिक गऊशालाएं हैं जो करीब 2 लाख पशुओं की देखरेख कर रही हैं तथा इतने ही पशु सडक़ों पर लावारिस घूम रहे हैं। अगर सरकार का ऐसा ही रुख रहा तो गऊशाला प्रबंधक गऊशालाओं में रखे गौधन को सडक़ों पर छोडऩे को मजबूर हो जाएगी तथा उस समय पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए भी सरकार को कोई न कोई कदम जरुर उठाना पड़ेगा। इसलिए अगर समय रहते ही गऊशालाओं को सहयोग किया जाए तथा और कैटल पाउंड आदि का निर्माण किया जाए तो लावारिस पशुओं की समस्या से निजात मिल सकती है। शायद सरकार ऐसा नहीं चाहती, तभी तो उसने पिछली द्वारा माफ किए गए बिजली के बिल पुन: लगा दिए हैं। संस्था प्रतिनिधियों ने कहा कि पंजाब के लाखों किसानों के बिल सरकार माफ कर सकती है परन्तु गऊशालाओं को कमर्शियल बिल भेजे जा रहे हैं, जोकि सरासर अन्याय है। सरकार गऊशालाओं को कोई राहत तो दे नहीं रही उल्टा गऊशालाओं पर बोझ डाल कर उनका संचालन कठिन बनाया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस फैसले को वापस लेने संबंधी जल्द ही निर्देश जारी नहीं किए तो पंजाब भर में संघर्ष छेड़ा जाएगा।