चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। कैबनिट मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा पद्म विभूषण पुरुस्कार वापस करने की कार्यवाही को बहुत देरी से उठाया मामूली कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि बुज़ुर्ग अकाली नेता की तरफ से यह कार्यवाही जिम्मेदारियों से भागने वाली है जिससे अकाली दल ख़ासकर बादल परिवार किए गए पापों से बच नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि बेहतर यह था कि बादल परिवार और अकाली दल अवार्ड वापस करने की अपेक्षा कानून वापस करवाने के लिए यत्न करता। उन्होंने साथ ही माँग की कि बादल परिवार को ऑर्डीनैंस लाने की हिमायत करने के बदले किसानों से माफी मंागनी चाहिए।आज यहाँ जारी प्रैस बयान में स. रंधावा ने कहा कि अकाली दल की सहमति से एन.डी.ए. सरकार द्वारा किसान विरोधी खेती ऑर्डीनैंस लाया गया। बादल परिवार की बहु केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा थी जिसने यह ऑर्डीनैंस पास किया था। तीन महीने तक अकाली दल ऑर्डीनैंसों का गुणगान करता रहा, यहाँ तक कि प्रकाश सिंह बादल की तरफ से भी वीडियो जारी करके खेती बिलों की प्रशंसा के बाँधे गए पुल अभी तक पंजाबी भूले नहीं।
पंजाब में बिलों के खि़लाफ़ हुए सख़्त विरोध को देखते हुए अकाली को मजबूरन भरे मन के साथ हरसिमरत कौर का इस्तीफ़ा दिलाना पड़ा और एन.डी.ए. छोडऩी पड़ी। इसके बावजूद प्रकाश सिंह बादल द्वारा ख़तरनाक खेती कानूनों के विरुद्ध कोई बयान या वीडियो जारी नहीं किया गया।स. रंधावा ने कहा कि आज प्रकाश सिंह बादल की तरफ से पद्म विभूषण अवार्ड वापस करने का नाटक रचा गया जिस पर कोई भी पंजाबी यकीन नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह बादल को उस समय यह अवार्ड वापस करना क्यों नहीं याद आया जब उनके मुख्यमंत्री होते हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूपों की बेअदबी हुई और उसके बाद शांतमयी प्रदर्शन कर रहे सिखों पर अंधाधुन्ध गोलियाँ चलाई गईं। फिर सी.बी.आई. द्वारा इस मामले में ढीली कार्यवाही की गई।