राजेवाल ने किसानों को लिखा पत्र: शांतमयी आंदोलन करते हुए 26 जनवरी को बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचने का किया आह्वान

चण्डीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने किसान संघर्ष के अब तक अहम पहलुओं का जिक्र करते हुए एक पत्र संघर्षशील किसानों के नाम लिख कर उन्हें सुचित किया है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने शांतमई रहना ही इस संघर्ष की सफलता की कुंजी होगी जबकि हिंसा आंदोलन के लिए फांसी के समान हो सकती है की बात कही।

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बता दें कि राजेवाल ने अपने पत्र में लिखा है:

इस समय केन्द्र सरकार की तरफ से किसान विरोधी कानूनो को रद्द करवाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं जिस शिद्दत तथा अनुशासन के साथ आप शांतमयी रहकर इस आंदोलन को अब तक चला चुके हैं उसकी दुनिया में कोई मिसाल नहीं मिलती। यह इतिहास विश्व में सबसे लंबा समय, सब से अधिक लोगों के शामिल होने वाला, पूर्ण शांतमयी आंदोलन है। पूरे संसार की आंखें इस को तीव्रता के साथ देख रही है। दुनिया भर में बैठे पंजाबी तथा आम भारतीय लोग अपना-अपना योगदान डालते हुए स्था-स्थान पर धरने, जलूस निकालकर इसमें शामिल हो रहे हैं। यह केवल किसानों का आंदोलन नहीं रहा। देश के हर वर्ग ने इन कानूनों के दुष्प्रभावों को समझ कर इसमें अपनी हाजिरी दर्ज करवाई है। आज यह देश भर में जन आंदोलन बन गया है। यह पंजाब से शुरू होकर हरियाणा, यू.पी., उत्तराखंड, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तथा देश के बाकी सारे राज्यों में फैल चुका है।

उन्होंने कहा भाईयो, मैं हमेशा आप सभी को बार-बार एक अपील करता रहा हूं, वह यह है कि आंदोलन केवल वह ही सफल होता है जो पूरा तरह शांतमयी रहे। जब भी आंदोलन में हिंसा आई, उसका पत्न शुरू हो जाता है। आपने अब तक इसे शांतमयी रखा, उसके लिए मैं आपका आभारी हूं। आंदोलन हमेशा पढ़ाववार आगे बढ़ते हैं। आपने सैमीनारों, धरनों से लेकर रेल पटरियों के आंदोलन द्वारा, भारत बंद जैसे सफल कदमों के साथ दिल्ली के विभिन्न नाकों पर बड़ी संख्या में एकत्र होकर बैठे हो। कडक़ती ठंड तथा बारिश के बावजूद आप आपनी ट्रालियों में घर डालकर शांतमयी बैठे हो। आंदोलन अपनी चाल शांतमयी ढंग से हर पढ़ाव को सफलता के साथ पार कर रहा है। आंदोलन में हर समय रणनीति अनुसार नए पढ़ाव तय करने होते हैं। इस लिए हम लोहड़ी पर इन काले कानूनों की कापियां जलाई, हमने इस बार 18 जनवरी को महिला दिवस को किसान महिला दिवस के रूप में मना रहे हैं। दशम पिता श्री गुरू गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व 20 जनवरी को हम संकल्प दिवस के रूप में मनाएंगे तथा खासतौर पर तथा सतिगुरू के शब्द “देहि शिवा वर मोहि इहि”का गायन करके आंदोलन में शांतमयी रहने का संकल्प लेंगेष सुभाष चंद्र बोस जी के जन्मदिवस 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान दिवस के रूप में मनाएंगे । हर साल की तरह 26 जनवरी हमारा गणतंत्र दिवस है हम उस दिन बड़ी संख्या में दिल्ली के बार्डरों के नाकों से किसान परेड करेंगे। उसके बाद पढ़ाव तब तक जारी रखे जाएंगे। जब तक आंदोलन सफल नहीं हो जाता।

मैं खास तौर पर आपको इसके लिए संबोधित कर रहा हूं ताकि 26 जनवरी के आंदोलन संबंधी फैलाई जा रही गलतफहमियां दूर हो सकें। हम किसान परेड कैसे करनी है, यह अगले सप्ताह घोषित करेंगे। पर जिस तकह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं , उनपर चौकस ही नहीं, बहुत गंभीर होने की जरूरत है। इस तरह का प्रचार किया जा रहा है जैसे किसानों की तरफ से बगावत करने का प्रोग्राम हो तथा यह आंदोलन आखिरी पढ़ाव हो। कुछ लोग कह रहे हैं कि उस दिन लाल किले पर झंडा लहरोंगे। कोई कह रहा है कि पार्लियमैंट में कब्जा करना है कई तरह की बेबुनियाद भडक़ाऊ प्रचार किया जा रहा है। इस प्रचार ने न केवल मुझे बल्कि सारे आंदोलन कर रही किसान जत्थेबंदियों को गंभीर चिंता में नहीं डाला बल्कि नींद खराब कर दी है। कुछ किसान विरोधी ताकतों ने किसानों तथा आम लोगों के शांतमयी आंदोलन को फेल करने के लिए इस क्रूड़ प्रचार पर पूरा जोर लगाया हुआ है। सरकार एजेंसियां भी ऐसे लोगों की मदद करने के लिए आगे है। धरने वाले स्थानों पर हमारे वलंटियर हर रोज ऐसे किसान आरोपियों को पकडक़र पुलिस के हवाले कर रहे हैं। यह भी सुनने में आ रहा है कि कुछ नौजवान ट्रैक्टरों पर पुलिस नाके तोडऩे के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं। यह केवल निंदनीय नहीं बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण है।

भाईयो, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि सि समय दुनिया इस आंदोलन की सफलता के लिए आरदासें कर रही है। बहुत सारे देशों की सरकारों तथा वहां के नेताओं ने इस आंदोलन की हिमायक की है। इस संबंधी मोदी सरकार को लिखा भी है। हर देश तथा भरत के हर राज्य में इस आंदोलन के हक में हर रोज शांतमयी धरने, मुजाहिरे किए जा रहे हैं। सारी दुनिया इस की सफलता देख रही है। मैं पूछता हूं कि जिस आंदोलन की सफलता के लिए श्री दरबार साहिब से अरदास हुई हो। हर गांव के गुरूद्वारों से अरदासें होने, हिंदू भाईयों द्वारा हवन करवाए जा रहे हैं, मुस्लमान हमारे साथ हों, की कोई किसान इसको हिंसक भीड़ बनाकर आंदोलन को फेल करने के बारे में सोच सकता है? कभी नहीं। मुझे तथा मेरे साथियों को इस पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा। फिर भी सरकारी एजेंसियों तथा किसान विरोधी ताकतें सरगरम हैं,। मैं समझता हूं कि ऐसी घटिया सोच तो किसानों की नहीं हो सकती। फिर भी सरकार हमारे आंदोलन में खालिस्तानियों तथा आतंकवादियों के होने के आरोप लगा रही है। ऐसे समय में हर किसान की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। भाईयो, यह आंदोलन आपका अपना है, आपके तथा आपके बच्चों के भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है। क्या आप अपना तथा अपने बच्चों का भविष्य दाव पर लगा सकते हैं। क्या हिंसक सोच के साथ इसको फेल करने का घिनौना पाप कर सकते हो? अगर नहीं तो आओ हम सभी मिलकर इसको शांतमयी रखने की तरफ बढ़े।

मेरी हर किसान को निम्रता सहित निवेदन है कि समय मांग करता है कि 26 जनवरी को अधिक से अधिक किसान, किसान महिलाएं दिल्ली जरूर पहुंचे। हर किसान एक वलंटियर बनकरप किसान विरोधियों पर निगाह रखे। जिस आंदोलन की सफलता के लिए सारी दुनिया का दिल धडक़ रहा है, उसको हर हाल शांतमयी रखने के दृढ़ इरादा रखो। किसान विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए क्रूड प्रचार करने वालों को बेपर्दा करने में मदद करो। आंदोलन को शांतमयी रखोगे तो ही हर हालात में सफलता मिलेगी। भडक़ाऊ नारे तथा गर्म जोशिली बातें आंदोलन को नींव से उतार देंगी। आओ, सभी मिलकर, जिन्होंने अब तक इसे मजबूत करने के लिए पूरा जोर लगाया है इसकी सफलता के लिए सारी ताकत लगा दें। शांतमयी रहना ही इस सफलता की कुंजी है तथा हिंसा आंदोलन के लिए फांसी समान है। आप से बहुत उम्मीदे हैं तथा बहुत भरोसा भी है। आओ मिलकर सफलता की तरफ बढ़े।

धन्यवाद सहित
आपका अपना,
बलबीर सिंह राजेवाल।

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