चुनाव कोई भी हों, चुनाव मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों को जनता की याद ऐसे आती है जैसे कोई कोमा से उठकर अपनों को पहचानने लगता है तथा इसमें कई ऐसे होते हैं जो पिछली बार जीतकर लोगों से किए वायदे तो पूरे करना दूर की बात उनसे ढंग से बात करना भी जरुरी नहीं समझते थे, वे भी जनता के चहेते होने का ऐसा नाटक करते हैं कि गिरगिट भी शर्मा जाए। इन दिनों होशियारपुर में नगर निगम चुनावों को लेकर कई ऐसे नेता सक्रिय हो गए हैं जिन्हें न तो वार्ड वासियों की चिंता थी व न ही मीडिया द्वारा सुचेत किए जाने को उन्होंने गंभीरता से लिया। लेकिन, इन दिनों वार्ड वासियों से ऐसे मिल रहे हैं जैसे उनसे बढक़र उनका कोई हितैषी ही न हो।
नगर निगम में ऊंचे पद पर रह चुके एक नेता जी को फिर से जनता की याद सताने लगी है तथा वे चुनाव लड़ रहे हैं इसकी घोषणा उन्होंने अपने वार्ड में फ्लैक्स लगवाकर की। लेकिन वार्ड के जिन मोहल्लों में उन्होंने 5 साल में एक ईंट भी नहीं लगवाई लगवाई वहां के लोगों ने फ्लैक्सों की दुर्दशा करके उन्हें मोहल्ले में न आने के संकेत दे डाले। फ्लैक्सों की दुर्दशा देख ऐसा भी कहा जा सकता है कि जिस प्रकार कृषि कानूनों को लेकर संघर्षरत किसानों के रोष का भाजपा वालों को सामना करना पड़ रहा है वहीं नेता जी के वार्ड में पड़ते कुछेक मोहल्ले के निवासियों ने भी किसानों की राह अपना ली हो और नेता जी को वहां न आने की चेतावनी दे डाली हो।
लालाजी स्टैलर की राजनीतिक चुटकी
अकाली दल से संबंधित नेता जी उस समय भी काफी चर्चा में आ गए थे जब वे मेयर के छुट्टी होने पर उनकी कुर्सी पर बैठ गए थे और उनसे सवाल पूछने पर उनके एक करीबी तत्कालीन मौजूदा पार्षद का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था और वे बोलचाल व शिष्टाचार की सभी सीमाएं लांघ गए थे। इतना ही नहीं उनके वार्ड में पड़ते मोहल्ले की समस्याओं के बारे में जब लोगों से बात करने के बाद उनसे बात की गई तो उन्होंने खुद को मशरुफ बताते हुए बात ही नहीं की थी। ऐसे में लोगों में इस बात को लेकर भी गुस्सा है कि जिस प्रतिनिधि के पास जनता एवं मीडिया की बात सुनने का भी समय नहीं उसे हम अपना कीमती वोट क्यों दें।
नेता जी द्वारा वार्ड में लगवाई गई फ्लैक्सों का फाड़ा जाना कहीं न कहीं किसी की शरारत कहा जा सकता है, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि वार्ड के अधिकांश हिस्सों में नेता जी की कृपा नहीं हुई तथा लोगों ने तो यहां तक भी कहा था कि गली के निर्माण के लिए जब उनके पास गए थे तो उन्होंने यहां तक कह डाला था कि खुद ही करवा लो। ऐसी कई बातें हैं जो नेता जी के विपरीत चर्चाओं में हैं तथा अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में जनता क्या रुख अपनाती है और नेता जी की उम्मीदों पर पानी या नईया पार। जय राम जी की।