योग साधन आश्रम में किया गया सत्संग का आयोजन

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम में रविवारीय सत्संग का आयोजन आश्रम के आचार्य चंद्र मोहन अरोड़ा के सानिध्य में आयोजित किया गया | इस मौके पर उन्होंने सद्गुरुदेव चमन लाल जी महाराज के दिव्या वचनों को बताते हुए कहा कि योग आश्रम एक ऐसा स्कूल है जहां हम शिक्षा लेने आते हैं | जिस प्रकार साधारण स्कूल में किसी विद्यार्थी के पास अगली कक्षा में जाने के लिए एक साल का समय होता है तथा  कोर्स की कुछ किताबें होती हैं जिन्हें पढ़कर उसे परीक्षा में उत्तीर्ण होना होता है|  विद्यार्थी यदि एक विषय में भी फेल हो जाए तो  अगली श्रेणी में नहीं जा सकता | उसे सभी विषयों का ध्यान रखना होता है| ठीक उसी प्रकार हमें भी प्रभु के स्कूल में 3  कोर्स मिले हैं और एक जीवन का समय मिला है | इस जीवन में इन सभी 3 क्षेत्रों में हमें सफलता प्राप्त करनी होती है तभी अगली श्रेणी में जा सकते हैं |

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हमारे जीवन की अगली श्रेणी तो मोक्ष है और तीन कोर्स जिनका हमें ध्यान रखना होता है वह शरीर, मन व बुद्धि है |यदि एक क्षेत्र भी पीछे रह गया तो हम इस जीवन में फेल ही है | जैसे नालायक शिष्य जो 1 से अधिक विषयों में फेल हो जाए स्कूल से निकाल दिया जाता है | वैसे ही हम भी यदि अपने शरीर का ,मन का तथा बुद्धि का ध्यान नहीं रखते तो फिर हमें भी फिर से मनुष्य जन्म नहीं मिलता| उन्होंने कहा कि योग साधन आश्रम में हमारे गुरु हमें संपूर्ण योग सिखाते हैं | जिससे हम अपने शरीर को, मन को तथा बुद्धि  को योग द्वारा निरोग रख सकते हैं | शरीर के लिए गुरु हठयोग के साधन सिखाते हैं|  जिसमें जलनेति ,बमन, कपालभाति, प्राणायाम तथा चार पांच आसनों का नियमित अभ्यास करके उमर भर व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है| काम करते-करते प्रभु का ध्यान करके हमारा मन प्रभु के स्वरूप से युक्त रहता है| बुद्धि के विकास के लिए तीन साधन उपयोगी है| पहला पूर्व जन्म के संस्कार हैं जिस पर हमारा कोई वश नहीं है|  दूसरा सत्संग तथा तीसरा स्वाध्याय | योग आश्रम में सत्संग निरंतर चलता है और ऋषिकृत ग्रंथों का स्वाध्याय निरंतर होता है|  परंतु यदि विद्यार्थी साल भर मौज मस्ती करता है  तो साल बाद फेल हो जाता है | ठीक उसी प्रकार यदि हम भी आश्रम में आकर गुरु की इन  शिक्षाओं को केवल सुन कर चले जाएं ,मनन में ना लाएं तो हम भी इस जीवन को बिना कुछ प्रगति किए खो कर चले जाते हैं| सत्संग के दौरान अमिता जी ने जिना दे  सिर ते हथ गुरां दा ओहना नू काहदा डर  वे लोको गाकर भक्तों को भावविभोर कर दिया| 

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