जम्मू/राजौरी (द स्टैलर न्यूज़), अनिल भारद्वाज। एलओसी के साथ सटे करनाह (कुपवाड़ा) में अब पाकिस्तानी सैनिक और ज्यादा स्थानीय नागरिकों को अपनी गोलाबारी का निशाना नहीं बना पाएंगे। स्थानीय निवासियों को एलओसी पार बैठी पाकिस्तानी फौज से बचाने के लिए जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बंकर बनाने का फैसला किया है। पूरे करनाह सेक्टर में 300 निजी बंकर बनाए जाएंगे।
कुपवाड़ा जिले का करनाह सेक्टर अक्सर पाकिस्तानी गोलाबारी का निशाना बनता रहता है। इस क्षेत्र से जब भी आतंकियों को घुसपैठ करानी हो, एलओसी पार बैठे पाकिस्तानी सैनिक भारतीय सेना का ध्यान भटकाने के लिए करनाह के अग्रिम गांवों पर गोलाबारी शुरू कर देते हैं। इस सेक्टर में कई गांव पाकिस्तानी सेना की सीधी फायरिंग रेंज में भी आते हैं। स्थानीय लोगों ने प्रदेश प्रशासन से अपने लिए सुरक्षित बंकरों का आग्रह किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने करनाह की भौगोलिक और सामरिक महत्ता को देखते हुए 3 सौ निजी बंकर बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।
करनाह के एसडीएम डा. बिलाल मोहिउद्दीन बट ने बताया कि जबडी, अमरोई, सैयदपोरा, हाजीतारा और नाड समेत करनाह के 17 गांवों में यह बंकर स्थानीय आवश्यकता अनुरूप बनाए जाएंगे। पहले उन्हीं गांवों को चुना गया है, जो एलओसी के अगले हिस्से में और सीधी पाकिस्तानी गोलाबारी की रेंज में हैं।
एसडीएम ने बताया कि प्रत्येक निजी बंकर पर करीब पांच लाख रुपये का खर्च आएगा। यह स्थानीय ग्रामीणों के घर के आसपास किसी सुरक्षित जगह पर ही बनाए जाएंगे। अगर कोई ग्रामीण अपनी सुरक्षित जगह उपलब्ध कराता है तो उसे प्राथमिकता मिलेगी। निजी बंकरों के अलावा कुछ सामुदायिक बंकर भी बनाए जाएंगे। प्रत्येक निजी बंकर में चार से आठ लोगों के रहने की व्यवस्था होगी, जबकि सामुदायिक बंकर में एक साथ 40-50 लोग रह सकेंगे। इन बंकरों पर हवाई जहाज से बम वर्षा और तोप के गोलों का भी कोई असर नहीं होगा।
एसडीएम के अनुसार बंकर निर्माण के लिए निविदाएं बुलाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। अगले माह मौसम पूरी तरह साफ हो जाएगा, बर्फ भी पिघलने लगेगी और उसके साथ ही बंकर निर्माण में तेजी लाई जाएगी। हमारा प्रयास रहेगा कि जून तक यह सभी बंकर तैयार कर दिए जाएं।
बतादें कि करनाह सेक्टर में बीते एक साल के दौरान पाकिस्तानी गोलाबारी में सात नागरिकों की मौत हो चुकी है और करीब दो दर्जन लोग जख्मी हुए हैं। 60 के करीब माल मवेशी भी मारे गए हैं और तीन दर्जन मकान तबाह हुए हैं।