दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। महाशिवरात्रि, भगवान शिव के लिंग रूप में प्रकट होने की तिथि है। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में आदि देव भगवान शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। वह लिंग करोड़ों सूर्यों के समान ज्योतिमान था इस पर्व को भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का पर्व भी माना जाता है। क्षेत्र के प्रसिद्ध दानवीर ,समाजसेवक एवम शिवभक्त मुकेश रंजन ने 11 मार्च महाशिवरात्रि पर्व के दिन का महत्व बताते हुए कहा शिव महाकाल हैं। वह प्रसन्न होने पर काल द्वारा व्यक्ति के कपाल पर लिखी गई भाग्य की रेखाओं को भी बदल सकते हैं। इसलिए कहा जाता है कि भगवान शिव भाग्य और भविष्य दोनों को बदल सकते हैं)। रंजन ने कहा महाशिवरात्रि ऐसे महादानी की कृपा प्राप्त करने का सबसे अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा शिव को प्रसन्न कर कोई भी व्यक्ति कठिन समय तथा संकटों से उबरकर सभी प्रकार के पारिवारिक एवं सांसारिक सुख आदि प्राप्त कर सकता है। ऐसी मान्यता है कि प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से ब्रह्मांड को भस्म कर देते हैं। उन्होंने कहा शरीर पर मसान की भस्म, गले में सर्पों का हार, कंठ में विष और जटाओं में गंगा रखने वाले शिव अपने भक्तों का सदा मंगल करते हैं और श्री-संपत्ति प्रदान करते हैं।
महादेव की आराधना के लिए महाशिवरात्रि का विशेष माहात्म्य बताया गया है। मुकेश रंजन ने कहा महाशिवरात्रि व्रत की यह विशेषता है कि इस व्रत को बालक, स्त्री, पुरुष और वृद्ध सभी कर सकते है। सभी शिवालयों में महाशिवरात्रि के दिन बेल, धतूरा और दूध का अभिषेक किया जाता है। यह व्रत महाकल्याणकारी होता है और महान यज्ञ तुल्य फल प्राप्त होता है। अलौकिक शक्तियां प्राप्त करने का यह सर्वाधिक उपयुक्त समय होता है। उन्होंने कहा महाशिवरात्रि व्रत करने से साधक को मोक्ष प्राप्ति के योग्य बनाती है। उपासक के सभी दु:ख, पीड़ाओं का अंत होता है। शास्त्रों के अनुसार चाहे समुद्र सूख जाए, पर्वत विचलित हो जाएं परंतु शिवव्रत कभी निष्फल नहीं जाता। इस व्रत को करने से धन, सुख-सौभाग्य, समृद्धि की प्राप्ति होती है। आशुतोष भोलेनाथ का व्रत यह व्रत साधक को सांसारिक और आध्यात्मिक, दोनों प्रकार से संपन्न बनाता है।