दसूहा (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: मनु रामपाल। श्रद्धा और आस्था का प्रतीक प्राचीन शिव मन्दिर गगन जी का टीला में महाशिवरात्री के दिन विशाल मेला लगता है यहां पर शिव भोले नाथ की आराधना करने पर मनोकामना पूरी होती है। यह शिव मंदिर बहुत ऊची पहाड़ी पर स्थित है और जहां पहुंचने के लिए लगभग 800 सीढिय़ां बनी हुई है। इस मन्दिर की एक कमेटी बनी हुई है जिनके द्वारा मन्दिर को बहुत ही सुंदर बना दिया गया है। कमेटी द्वारा मन्दिर में एक डॉक्टर की भी नियुक्ति की गई है। भोलेनाथ की कृपा से इस मन्दिर में लंगर लगातार चलता रहता है। मन्दिर कमेटी द्वारा अब नया रैंप बनवाया गया है जिससे मन्दिर से कुछ ही दूरी तक कार जाने का भी प्रबंध है। इस मन्दिर का इतिहास पाडंवों से जुड़ा हुआ है। जिला होशियारपुर की तहसील दसूहा के गांव सहोंडा कडी में स्थित है जो दसूहा शहर से लगभग 14 किलोमीटर दूर स्थित है।
कलयुग के समय हिमाचल के एक राजा ने इसी जगह पर शिवलिंग देखकर वर मांगा था कि उनके कोई औलाद नहीं है, राजा ने पूजा अर्चना करके औलाद का वरदान मांगा और उनकी मनोकामना पूरी हुई और उनके घर एक बच्ची ने जन्म लिया और उसका नाम गगन रखा गया। जिसके बाद से इस मन्दिर का नाम गगन जी का टीला रखा गया। गगन जी का टीला का इतिहास पाडंवों से जुड़ा हुआ है। अज्ञातवास काटने से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने पाडंवों से कहा कि अज्ञातवास में जाने से पहले तुम किसी सुनसान स्थान की तलाश कर वहाँ पर भगवान शिव शंकर जी की पूजा अर्चना करना तब पांडव भगवान श्री कृष्ण की बताई बात पर अमल करते हुए सुनसान स्थान की तलाश में इन पहाडिय़ों पर पहुँचे यहां पाडंवों तथा द्रोपदी ने भगवान शिव शंकर की पूजा की।
पूजा से खुश होकर भगवान शिव शंकर जी ने उन्हें दर्शन दिए और एक शिवलिंग देकर वरदान दिया कि भविष्य में जो यहाँ पर सच्चे मन और श्रद्धा से पूजा अर्चना करेगा उसकी इच्छा पूरी होगी। उसके बाद पांडवों और द्रोपदी ने अज्ञातवास शुरू करने के लिए भेस बदलकर दसूहा शहर (जिसे उस समय विराट नगरी के नाम से जाना जाता था) में राजा विराट के दरबार पर नौकरी की अपने अज्ञातवास के दौरान प्रत्येक पूर्णमासी के दिन पांडवों में से कोई न कोई भेस बदलकर इस पहाड़ी पर आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करता था।
इस मन्दिर का इतिहास कलियुग के समय से भी जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि कलियुग के समय में हिमाचल का एक राजा जब यहाँ से पहाड़ी के नीचे से गुजऱ रहा था तो उसे पहाड़ी पर कुछ दिखाई दिया और राजा ने पहाड़ी के ऊपर जाकर देखा तो उसे वहाँ पर पवित्र शिवलिंग दिखाई दिया। राजा की बेटी गगन के नाम से यह धार्मिक स्थल गगन जी का टीला के नाम से प्रसिद्ध हुआ है। इस मंदिर में लोग बड़ी संख्या में दूर से आते हैं और मनोकामना करते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर लोग ढोल बैंड-बाजे के साथ नतमस्तक होते हैं।