शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है महाशिवरात्रि: मुकेश रंजन

दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। भगवान शिव की अपार शक्ति और भक्ति का पर्व महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है और इस साल यह तिथि 11 मार्च को पड़ रही है। शिव भक्त मुकेश रंजन ने गगन जी का टील्ला मन्दिर में उक्त चर्चा करते हुए कहा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव और पार्वती जी की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस दिन कई लोग धार्मिक अनुष्ठान और रुद्राभिषेक व महा महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हैं।

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रंजन ने कहा मान्यता है कि इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जप करने का विशेष महत्व होता है और हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन अधिकांश घरों में लोग शिवजी का व्रत करते हैं और शाम को फलाहार करके व्रत पूरा करते हैं। इस दिन देश भर में कई स्थानों पर शिव बारात निकाली जाती है और धूमधाम से यह त्योहार मनाया जाता है।

पूजाविधि और शुभ मुहूर्त: उन्होंने कहा महाशिवरात्रि इस बार 11 मार्च 2021 को गुरुवार के दिन मनाया जाएगा और इसी दिन इसका व्रत भी रखा जाएगा। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि इस दिन शिव और शक्ति के मिलन का दिन है, यानि शिव पार्वती विवाह इसी दिन हुआ था। इस बार की शिवरात्रि और भी खास मानी जा रही है, क्योंकि इसी दिन हरिद्वार कुंभ में प्रथम शाही स्नान किया जाएगा।

शिवरात्रि बहुत ही शुभ योग में -इस साल शिवरात्रि का त्योहार बेहद खास योग में मनाया जा रहा है। इस दिन शिव योग लगा रहेगा और साथ ही नक्षत्र घनिष्ठा रहेगा और चंद्रमा मकर राशि में रहेगा। इसलिए इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास मानी जा रही है। इस साल शिवरात्रि की पूजा संपूर्ण विधि विधान के साथ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।

पूजा का शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि त्रयोदशी तिथि- 11 मार्च 2021 (गुरुवार)

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 11 मार्च, दोपहर 2 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी

चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च, दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर ऐसे करें व्रत और पूजा

उन्होंने कहा महाशिवरात्रि के व्रत का आरंभ इस बार त्रयोदशी तिथि में होगा। इस दिन जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा वाले स्थान की अच्छे से सफाई करवाएं।भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें और पंचामृत से स्नान करवाएं।शिवलिंग को भी स्नान करवाकर बेलपत्र,भांग, धतूरा, फल और मिठाई का भोग लगाएं।शिवजी को चंदन का तिलक लगाकर पूजा करें और माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं।सच्चे मन से महाशिवरात्रि का व्रत करने का संकल्प करें और मंदिर जाकर शिवजी को जल चढ़ाएं।

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