कथा श्रवण करने से प्राप्त होता है कल्याणकारी मार्ग: आचार्य सुशील

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: पुष्पिंदर। बीरबल नगर होशियारपुर में आयोजित किए श्री महागणेश पुराण कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन श्रीधाम वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य सुशील जी महाराज ने अष्टोत्तर नामावली की व्याख्या सुनाई। उन्होंने बताया कि भगवान श्री गणेश की अष्टोतर नामावली से आता है रुका हुआ धन वापिस।

Advertisements

यह सद्भाव उप पुराणों में सर्वश्रेष्ठ श्री गणेश पुराण के माध्यम से बताया कि जो मनुष्य नित्य प्रति भगवान गणेश के नाम से उन पर दूर्वा या पुष्प चढ़ाते हैं, उनका धन चाहे प्रदेश में ही क्यों न हो वह भी पुन: प्राप्त होता है। अस्तु भगवान गणेश के अष्ट नामों का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु का एक नाम एकदंत है जिसका अर्थ है जोडऩा अर्थात प्रभु के इस नाम से शिक्षा प्राप्त कर समाज की एकता का संदेश प्रकट किया क्योंकि जिस घर में जिस परिवार में, जिस नगर में, जिस राष्ट्र में एकता होती है वहां परमात्मा का प्राकट्य और संतो का आगमन होता है।

अन्यान्य शास्त्र कहते हैं–

नहिं दरिद्र सम दुख जग माही, संत मिलन सम सुख जग नाहीं अर्थात संत के मिलने से ज्यादा सुख जीवन में कभी नहीं आ सकता, तदोपरांत भगवान गणेश के वाहन मूषक से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम कितने भी बढ़ जाये लेकिन छोटे से छोटे जीव से भी स्नेह रखना चाहिए। हमारे देवी-देवताओं ने तो अधिकतर पशु पक्षियों को ही अपना वाहन बनाया क्योंकि आज का मानव अपने कर्म और व्यवहार से भटक चुका है जबकि हम तो उस देश के वासी है जहां के एक पंछी (जटायु) ने माता जानकी की रक्षा करते-करते अपने प्राणों की आहुति दे दी तदोपरांत महाराज श्री ने अपने भी मुख से सती चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कथा सुनने से क्या मिलता है और कथा न सुनने से क्या घटता है अथार्त प्रभु की कथा कल्याणकारी है, इसीलिए अवश्य सुनें।

भूतगिरि शिव मंदिर, विकास समिति ऊना रोड, उडान फाउंडेशन व गायत्री गऊ सेवा समिति के सहयोग से आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में रोजाना 17 अप्रैल तक सांय 3 से 7 बजे तक कथा आयोजित की जाएगी। 16 अप्रैल को व्यास विदाई व 17 अप्रैल को हवन यज्ञ, कीर्तन व भण्डारा आयोजित किया जाएगा।

इस दौरान उन्होंने चौपाई के माध्यम से वर्णन किया कि प्रभु कथा सुंदर कर तारी, संसय बिहग उड़ावन हमारी क्योंकि कथा हमारे संसय रुपी पंछी को उड़ाकर हमारे जीवन में आनंदरुपी किरणों को उत्पन्न करती है। तदोपरांत भगवान शिव के विवाह में झूमकर आनंद लिया। इस दौरान पंडित श्याम ज्योतिषाचार्य, बनवारी लाल कालरा, संजीव तलवाड़, आरती तलवाड़, सुरिंदर मित्तल, अश्विनी कालिया, शंभु दत्त, शिवाधार चौबे, डा. जय नारायण, संदीप, संजय शर्मा, सतीश पुरी, अरविंद वर्मा, गगन, संजय, गोपाल, राकेश, रामू, कमला काबरा, सुनीता शर्मा, गौरी शर्मा, शूचि शर्मा, पलक शर्मा व अन्य शामिल थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here