थाना माहिलपुर प्रभारी बलजिंदर सिंह मल्ली लाइन हाजिर, रिश्वत संबंधी वीडियो वायरल होने का मामला?

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। एसएसपी होशियारपुर ने कथित तौर पर एक रिश्वत मामले की वीडियो वायरल होने के बाद थाना माहिलपुर के एसएचओ बलजिंदर सिंह मल्ली को सस्पैंड करते हुए लाइन हाजिर करने के आदेश जारी किए हैं। हालांकि कुछेक अधिकारियों द्वार इसे रुटीन बदली कहकर बात को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विभाग के कुछेक अधिकारियों एवं कर्मियों का कहना है कि एक मामले में रिश्वत लेने संबंधी वीडियो के वायरल होने के बाद अधिकारियों द्वारा यह कदम उठाया गया है ताकि विभाग की बदनामी न हो।

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विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार एक मामले में उक्त एसएचओ ने करीब ढाई लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी तथा इस दौरान किसी ने उनका वीडियो बना लिया था और उसे वायरल कर दिया था, जिसे समय रहते कंट्रोल कर लिया गया ताकि पुलिस विभाग की खिल्ली न उड़े तथा उसी मामले का कड़ा संज्ञान लेते हुए आला अधिकारियों ने मल्ली को सस्पैंड करके लाइन हाजिर करने के आदेश जारी किए। इस संबंधी बात करने पर डीएसपी गढ़शंकर दलजीत सिंह खख ने कहा कि यह रुटीन बदली के तहत उन्हें लाइन हाजिर किया गया है तथा रिश्वत मामले में बदली की गई संबंधी पूछने पर उन्होंने कहा कि वह छुट्टी पर थे तथा कार्यालय जाएंगे तो ही इस बारे में कुछ बता पाएंगे।

गौरतलब है कि यह वही दानेदार हैं जिनकी ड्यूटी कोटफतूही चौंकी में थी और उन्होंने होशियारपुर शहर के गांव चौहाल में जाकर किसी केस में एक युवक को उठाया था और उसकी जानकारी देर शाम तक न तो संबंधित थाने को दी थी और न ही पूछने पर उनके परिजनों को दी थी तथा इससे गुस्साए गांव निवासियों ने जब एसएसपी के आवास के बाहर देर रात धरना दिया था तो धरनाकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन पर मामला दर्ज कर दिया था। लेकिन बाद में गांव के रास्ते में लगी सीसीटीवी फुटेज को जब खंगाला गया तो पता चला था कि किसी डीएसपी की गनमैन गिरफ्तार किए गए युवक की मोटरसाइकिल चलाकर ले जा रहा था और संबंधित अधिकारी बाद में गांव निवासियों को मामला रफा दफा करने की बात करके पीछे छुड़ाने की फिराक में रहा तथा आज भी वह उस मामले को दबाने की कोशिशों में है। अब जबकि यह मामला सामने आ गया है तो इससे एक बात तो साऱफ हो जाती है कि किस प्रकार चंद नोटों की खातिर उक्त थानेदार द्वारा मासूम लोगों को फंसाया गया होगा की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता तथा इसके हर मामले की विभाग को गहनता से जांच करवानी चाहिए ताकि किसी बेगुमाह को सजा से बचाया जा सके तथा इस बात की भी मांग उठने लगी है कि इस बात की भी जांच अति जरुरी की जाए कि आखिर उक्त थानेदार को किस अधिकारी का संरक्षण प्राप्त था कि उसे किसी का डर ही नहीं था।

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