तलवाड़ा (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: प्रवीन सोहल। व्यक्ति के अंदर अच्छे संस्कार, ज्ञान व आर्थिक दृष्टि से उसे आत्मनिर्भर बनाना शिक्षा का उदेश्य है। उक्त विचार एस.डी सर्वहितकारी विद्या मंदिर तलवाड़ा में विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के महामंत्री प्रिं. देशराज शर्मा ने व्यक्त किए। विद्या भारती द्वारा आयोजित 7 दिवसीय स्कूल निरीक्षकों की कार्यशाला में अपना विषय ‘आधारभूत विषयों की संकल्पना एवं समग्र विकास’ लेते हुए कहा कि शिक्षा के पांच आधारभूत विषय संगीत, संस्कृत, शारीरक शिक्षा, योग तथा नैतिक व अध्यात्मिक शिक्षा हैं, जिससे व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास संभव है। उन्होंने कहा कि शारीरक शिक्षा से बालक बलवान, बलिष्ठ, अच्छा खिलाड़ी तथा उसकी शारीरिक क्षमताओं का विकास होगा। ऐसा बालक ही देश और धर्म की रक्षा कर सकेगा। योग के अभ्यास से बच्चों में क्रोध, काम, लोभ, ईष्र्या आदि संवेगों पर नियंत्रण कर उत्साह, क्रियाषीलता, सहनषीलता के गुण विकसित होंगें, जिससे उसके जीवन में आध्यात्मिकता आएगी।
संगीत वह कला है जो प्राणी के हृदय के अंतरतम तारों को झंकृत कर देती है जिससे हमारे अंदर नई स्फूर्ति, स्वाभाव में स्थिरता व कार्य करने की क्षमता बढती है। संस्कृत से बुद्धि व मेधा, अभिव्यक्ति क्षमता, मौलिक शोधवृत्ति, बोध क्षमता व लेखन एंव पठन क्षमता का विकास होगा। नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा से सत्य, प्रेम, करुणा त्याग, निष्ठा, ईमानदारी, सहयोग, विनम्रता, शिष्टता, धैर्य, सहिष्णुता का विकास होगा तथा सेवा एवं समर्पण भाव बढ़ेगा। प्रिं. शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी इस का जिक्र है विद्या भारती ने इन मूल विषयों को अपने विद्यालियों में अनिवार्य विषय बनाया हुआ है। प्रत्येक विषय अपने आप में विद्यार्थी के समग्र विकास का आयाम है। शिक्षा नीति में आर्ट-इंटीग्रेष्ण व मल्टी-डिस्पलनरी पर बल दिया गया है, जिसे प्रत्येक अध्यापक को समझना आवश्यक है। विद्या भारती उत्तर क्षेत्र संगठन मंत्री विजय नड्डा ने अपने विषय ‘सेवा के क्षेत्र की शिक्षा हमारा दृष्टिकोण’ पर विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि समाज व राष्ट्र को अपने पैरों पर खड़ा करने में शिक्षा की भूमिका सबसे अधिक रहती है उन्होंने कहा कि हमें अपने देश में समरस समाज का निर्माण करना है यही सेवा शिक्षा का प्रथम उदेश्य है।