यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने से होती है मनोरथों की पूर्ति: आचार्य राजिंदर प्रसाद

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। श्री नन्द अन्नपूर्णा मन्दिर एकता नगर खानापूरी गेट होशियारपुर वालो का होशियारपुर में 19 वां व भारत मे 169वां श्री रुद्रचंडी महायज्ञ श्री ब्रह्मर्षि नन्द किशोर शास्त्री जी महाराज के आशीर्वाद से समस्त शिष्यगनो के सहयोग से आज छठे दिन में प्रवेश कर गया है। यज्ञ के मुख्य यजमान के तौर पर अनिल सिंघानिया व उनकी पत्नी गीता सिंघानिया ने यज्ञ में आहुति डाली व उनके साथ हेमन्त सिंघानिया, राधा रानी, राघव अग्रवाल, राघव अग्रवाल, जानवी अग्रवाल, परवीन शर्मा दौलत पुर, विशाल वालिया, स्वीटी वालिया, योगेश राखी, राघव जोशी, गिरिष्मा जोशी, पनिका व मोनिका यादव मौजूद थे। दूसरे दिन के यज्ञ में मुकेश शर्मा, शालू शर्मा, ने मुख्य यजमान के तौर पर हवन यज्ञ में आहूति डाली व उनके अलावा दविंदर वालिया गुरू जी, विशाल वालिया ने भी परिवार सहित यज्ञ में आहूतियां दी तथा यज्ञ स्थल पर मेघा सिंगला, महक सिंगला, मीरा भारद्वाज, रजनी बाला, सुरिंदर कौर भी मौजूद थे।

Advertisements

इस मौके पर प्रधान रमेश चन्द्र अग्रवाल, महासचिव तरसेम मोदगिल ने बताया कि आचार्य रजिंदर प्रसाद हरिद्वार वालो द्वारा अग्णि मंथन के पश्चात भक्तों ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की। आचार्य रजिंदर प्रसाद हरिद्वार वालो ने कहा कि यज्ञ मंडप का परिक्रमा बहुत बड़ा दैहिक तप है। ऐसा तप का महत्व शास्त्रों में विस्तृत रूप से वर्णित है। महर्षिगण ने तो यहां तक कहा है कि यज्ञशाला के परिक्रमा करने में एक-एक पग डालते रहने से समूल बाधा का नाश हो जाता है और सभी तीर्थो का फल भक्त को प्राप्त हो जाता है। श्री रुद्रचंडी महायज्ञ का वर्णन आज से नहीं बल्कि सतयुग, द्वापर और त्रेता से ही कृपासाध्य रहा है।

इसलिए कलियुग में भी श्री रुद्रचंडी महायज्ञ का बहुत बड़ा महत्व है। इस महायज्ञ में शामिल होने वाले का मन चित्त और बुद्धि विशुद्ध हो जाता है और उस विशुद्ध बुद्धि का दाता श्री विष्णु है। आज संपूर्ण संसार बुद्धि के अभाव में ज्ञान गंवा चुका है, जिससे पग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विष्णु महायज्ञ की परिक्रमा करने से जीव के सारे मनोरथों की पूर्ति होती है। इस मौके पर आचार्य राजिंदर प्रसाद ने बताया कि रूद्र चण्डी पाठ करने से डर, भय और पाप नष्ट हो जाते हैं। देवी दुर्गा की उपासना का जिक्र रामायण से भी मिलता है। माना जाता हा कि श्री राम ने रावण से युद्ध से पहले जीत के लिए समुद्र किनारे चण्डी पाठ किया था। जिसे देवी स्तुती कहा गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here