हालात बेहतर होते यदि 45 साल से ऊपर के व्यक्तियों को टीकाकरण के अंतर्गत लाने में 2 महीने की देरी न होती: मुख्यमंत्री

चंडीगढ़, (द स्टैलर न्यूज़)। केंद्र सरकार की तरफ से कोविड मामलों में वृद्धि पर अपनी सरकार की की गई आलोचना पर पलटवार करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बुधवार को कहा कि न सिर्फ़ राज्य की तरफ से प्रति 10 लाख के हिसाब से राष्ट्रीय औसत से अधिक टेस्टिंग की जा रही है बल्कि हालात और भी बेहतर होते यदि भारत सरकार ने 45 साल से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए कोविड टीकाकरण का दायरा बढ़ाने में देरी न की होती।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने 45 साल से ज़्यादा आयु के लोगों को टीकाकरण के अंतर्गत लाने में दो महीने की देरी करने की बजाय 50 साल से ज़्यादा की श्रेणी वाली आबादी के लिए पहले ही टीकाकरण की राज्य की माँग मान ली होती तो हालात शायद मौजूदा की अपेक्षा बेहतर हो सकते थे। कैप्टन अमरिन्दर सिंह भारत सरकार के उस आरोप का जवाब दे रहे थे जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार की तरफ से कोविड की टेस्टिंग और इससे पीड़ित लोगों के एकांतवास के लिए उचित कदम नहीं उठाये जा रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की तरफ से सामाजिक भीड़ों पर कड़ी पाबंदियां लगाईं गई हैं और समूह शिक्षा संस्थान बंद कर दिये गये हैं। इसके अलावा कोविड से बुरी तरह प्रभावित 11 जिलों में रात 9 से प्रातः काल 5 बजे तक कर्फ़्यू लगाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार की तरफ से बार-बार भारत सरकार को लिखित रूप में और राज्य की मुख्य सचिव की तरफ से मीटिंगों में कहा गया था कि टीकाकरण की मौजूदा योजना की समीक्षा करने की ज़रूरत है। मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि चुनिंदे इलाकों में समूह आयु वर्गों को टीकाकरण के अंतर्गत लाने से बेहतर नतीजे हासिल होंगे बजाय इसके कि हर बार आबादी के छोटे हिस्से को मियादी तौर पर टीकाकरण के तहत लाना। उन्होंने इस बात की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया कि उपरोक्त पहुँच उस क्षेत्र में अपनाई जानी चाहिए जहाँ साप्ताहिक टेस्टिंग में पाज़िटिविटी की दर दोगुनी हो।
मुख्यमंत्री ने स्कूल और कालेज के विद्यार्थियों और अध्यापकों, जजों, बस डाईवरों और कंडकटरों, पंचों /सरपंचों /मेयरों /म्यूंसिपल कमेटियों, प्रधानों /कौंसलरों, विधायकों और संसद सदस्यों के लिए पेशा आधारित टीकाकरण हर जगह शुरू किये जाने की अपनी माँग दोहराई।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कोविड के सामर्थ्य का पता लगाने के लिए रिपोर्टें हासिल होने में हो रही देरी पर भी गौर किया। भेजे गए 874 नमूनों में से अभी तक सिर्फ़ 588 की रिपोर्ट ही आई है जिनमें से 411 नमूनों को बी.1.1.7 (यू.के. वायरस) और 2 को एन.440के लिए पॉजिटिव पाया गया। मुख्यमंत्री ने केंद्र से अपील की कि यू.के. वायरस की मौजूदगी से पेश चुनौती पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है और इस सम्बन्धी राज्य के साथ अपेक्षित जानकारी और सलाह सांझी की जाये।

टेस्टिंग पक्ष से आंकड़ों की स्थिति स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले शिखर जोकि सितम्बर 2020 के दौरान देखने में आया था, पाज़िटिविटी दर 10 के करीब थी और राज्य की तरफ से प्रति दिन 30,000 कोविड नमूनों की जांच की जा रही थी। अब जब यह दर 7 प्रतिशत से अधिक है तो राज्य की तरफ से 40,000 कोविड नमूनों की प्रति दिन टेस्टिंग की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की तरफ से आर.टी. -पी.सी.आर. के द्वारा 90 प्रतिशत और आर.ए.टी. के द्वारा 10 प्रतिशत टेस्टिंग की जा रही है और प्रति 10 लाख के हिसाब से यह टेस्टिंग 1,96,667 तक पहुँच चुकी है जबकि राष्ट्रीय औसत 1,82,296 है।

राज्य के पास इस महामारी की शुरुआत के मौके पर आर.टी.-पी.सी.आर. टेस्टिंग का सामर्थ्य बहुत कम था जोकि 40 नमूने प्रति दिन था परन्तु कुछ ही समय में राज्य ने अपने आर.टी. -पी.सी.आर. टेस्टिंग सामर्थ्य को 25,000 टैस्ट प्रति दिन तक बढ़ा लिया। राज्य की तरफ से अपने आर.टी.-पी.सी.आर. सामर्थ्य का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि भारत सरकार के आई.आई.ऐस.ई.आर., इमटैक और पी.जी.आई.ऐम.ई.आर. जैसे संस्थान राज्य को सिर्फ़ 100 नमूने प्रति दिन जांच करने की हद तक ही सहयोग दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की तरफ से ज़रूरत पड़ने पर आर.ए.टी. टेस्टिंग में किसी भी हद तक विस्तार किया जा सकता है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने यह भी कहा कि सितम्बर 2020 के पहले शिखर के दौरान पंजाब की तरफ से प्रति पॉजिटिव केस संपर्क पता लगाने की संख्या 10 संपर्कों तक बढ़ा दी थी। उन्होंने आगे बताया कि अब जब इस महामारी का दूसरा शिखर है तो हम प्रति पॉजिटिव केस संपर्क ट्रेसिंग को 15 संपर्कों तक बढ़ा रहे हैं।

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