दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। ब्यास नदी पर बनाए गए पोंग बाँध की महाराणा प्रताप सागर झील से पानी डिस्चार्ज होकर शाह नहर बैराज में आता है और फिर वहां से मुकेरियां हाईडल नहर में उक्त नहर की लम्बाई 37 किलोमीटर है इसमें से आरडी जीरो से आरडी 2600 तक की नहर को शाह नहर कहा जाता है और फिर आरडी 2600 से लेकर आरडी 36939 तक की नहर को मुकेरियां हाइडल नहर कहते हैं। इस विशाल नहर में 11500 क्यूसिक का भारी बहाव रहता है। इस नहर का बिजली उत्पादन और सिंचाई के क्षेत्र में अहम योगदान है।
इस प्रकार यह नहर राष्ट्र निर्माण में अपना अहम योगदान दे रही है। इस नहर पर भोडे दाखूह ,हाजीपुर ,रैली तथा ऊँची बस्सी में पांच पनविद्युत् परियोजनाएं कार्यरत हैं, जिनमें कुल 225 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है और इसका पानी राजस्थान की मरुभूमि को सरसब्ज करता है। इस नहर की 35 किलोमीटर की लम्बाई में 3 हजार से भी अधिक स्लैबें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं और इनके कारण नहर के टूटने और करोड़ों रुपयों का नुक्सान होने का अंदेशा बना हुआ है और इन स्लैबों के कारण समूची नहर की हालत बदहाल बनी हुई थी। नहर के उद्गम स्थान शाह नहर बैराज के निकट झीर दा खूह के पास ,गाँव खटिगढ़ के पास और निक्कुचक आदि के निकट सैकड़ों सलैबें क्षतिग्रस्त हैं और यहाँ से रिसाव अथवा टूटन की आशंका बनी रहती है जिससे यदि नहर बंद हो तो बिजली उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
इस विषय में मुकेरियां हाईडल नहर विभाग के एक्सियन चरनजीत सिंह से बात की तो उन्होंने 3 हजार से ज्यादा स्लैबें क्षतिग्रस्त होने की बात मानते हुए बताया कि इस सन्दर्भ में हमने टेंडर की प्रक्रिया शुरू की थी और अब इसकी मरम्मत का टेंडर पास हो गया है। उन्होंने बताया इन सभी स्लैबों में से पहले चरण में 1240 स्लैबें जो ज्यादा खराब हैं उनकी मरम्मत की जाएगी और इस हेतु कुल एक करोड़ 91 लाख रु स्वीकृत किये गये हैं। उन्होंने बताया विभाग ने सरकार से नहर की बंदी करने के लिए लिखा था और इसकी अनुमति मिलने के बाद 17 मार्च को नहर को बंद करके स्लैबों की मरम्मत शुरू कर दी गई है और 31 अप्रैल तक तय समय सीमा में यह मरम्मत कर दी जाएगी ताकि बिजली उत्पादन में कोई बाधा न हो सके ।