मजदूरों को उनके अधिकार मिलने ही चाहिए– अशोक शर्मा

दातारपुर : भारत में मई दिवस पहली बार वर्ष 1923 में मनाया गया, जिसका सुझाव ¨सगारवेलु चेट्टियार नामक कम्यूनिस्ट नेता ने दिया। उनका कहना था कि दुनियां भर के मजदूर इस दिन को मनाते हैं तो भारत में भी इसको मान्यता दी जानी चाहिए। मजदूरों के हितों के प्रति सभी का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया। हालांकि अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस, यानी मई दिवस 1886 में शिकागो में शुरू हुआ था। श्रमिक मांग कर रहे थे कि काम की अवधि आठ घंटे हो और सप्ताह में एक दिन का अवकाश हो। 

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बीबीएमबी यूनियन एटक के नेता अशोक शर्मा ने मजदूर दिवस पर चर्चा करते हुए कहा कि श्रमिक हड़ताल पर थे हड़ताल के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने बम फोड़ दिया, पुलिस गोलाबारी में कुछ मजदूर मारे गए, साथ ही कुछ पुलिस अफसर भी मारे गए। कामरेड ने बताया कि 1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय महासभा की द्वितीय बैठक में फ्रेंच क्रांति को याद करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया कि इसको अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए, उसी समय से विश्व भर के 80 देशों में ‘मई दिवस’ को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता प्रदान की गई। विश्व के लगभग सभी देशों में श्रमिक दिवस या मई दिवस मनाया जाता है।

उन्होंने कहा निसंदेह विभिन्न देशों में इसे मनाने का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन इसका मूलभूत आशय व उद्देश्य मजदूरों को मुख्य धारा में बनाए रखना और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति समाज में जागरूकता लाना ही है। अशोक शर्मा ने कहा कि मजदूर ही पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं उन्हें उनके बनते अधिकार मिलने ही चाहिएइस अवसर पर ध्वजारोहण किया गया इस अवसर पर प्यारा सिंह तथा सोम प्रकाश उपस्थित थे।

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