चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब में बढ़ रहे औद्योगिक वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उद्योग और वाणिज्य और विज्ञान, प्रोद्योगिकी और पर्यावरण विभागों ने ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के अवसर पर अब्दुल लतीफ जमील पाॅवर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) साउथ एशिया और एनर्जी पाॅलिसी इंस्टीट्यूट आॅफ शिकागो यूनिवर्सिटी (ऐपिक इंडिया) के साथ साझेदारी का ऐलान किया है जिससे एमीशन ट्रेडिंग स्कीम (ई.टी.एस) का प्रयोग शुरू किया जा सके। राज्य सरकार जे-पाल, साउथ एशिया और ऐपिक इंडिया के साथ मिलकर पंजाब में प्रदूषण मार्केट डिजाइन करने और स्थापित करने के लिए काम करेगी। इस साझेदारी के द्वारा सूरत में स्थापित और कार्यशील एमीशन ट्रेडिंग मार्केट के आंकड़ों और शोध प्रमाणों का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करने के लिए सरकारी अधिकारियों को तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण में मदद प्रदान करवाई जायेगी। इस साझेदारी के पहले कदम के तौर पर राज्य सरकार और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) भी राज्य में कण और ग्रीनहाउस गैस (जी.एच.जी.) के निकास को घटाने के अलावा, लुधियाना में 200 रंगाई उद्योगों के निकास को नियंत्रित करने के लिए एक ई.टी.एस. काम करेगा।
इस साझेदारी संबंधी अधिक जानकारी देते हुए उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रमुख सचिव आलोक शेखर ने कहा कि राज्य सरकार नियमों के द्वारा पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए यत्नशील है जोकि कम औद्योगिक खर्चों समेत साफ-सुथरे उत्पादन के लिए लाभप्रद और उचित माहौल का वादा करती है। ई.टी.एस. एक ऐसी पहल है जो पंजाब में गंभीर और प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में सहायता कर सकती है। अपने संबोधन में मिल्टन फ्राईडमैन अर्थशास्त्र में सर्विस प्रोफैसर, ऐपिक इंडिया के डायरेक्टर और जेपी-एल के एनर्जी, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के को-चेयर प्रोफैसर माइकल ग्रीनस्टोन ने कहा कि प्रदूषण घटाए जा सकते हैं – दुनिया के पहले ई.टी.एस. ने गुजरात के प्रदूषण को घटाकर पहले ही यह कर दिखाया है। पंजाब अब इस प्रगतिशील सोच को अपनाने वाला दूसरा भारतीय राज्य बन गया है। प्रदूषित वायु और महंगे नियमों से जूझ रहे कई अन्य भारतीय शहरों के लिए, ईटीएस वायु के गुण और स्वास्थ्य में सुधार लाने, नियमित बोझ को कम करने का सामर्थ्य रखता है। इसके साथ ही ईटीएस के द्वारा सरकारी इन्फोर्समेंट खर्चों को घटाया जा सकता है।
जिक्रयोग्य है कि यह पहलकदमी पंजाब सरकार और जे-पाल, साउथ एशिया के बीच चल रही साझेदारी का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत साल 2017 से जे-पाल साउथ एशिया ने राज्य के विभागों को सख्त, उचित नीतिगत शोध और सफल प्रोग्रामों को बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने के लिए काम किया है। यहाँ बताना बनता है कि ई.टी.एस वायु प्रदूषण को घटाने के लिए मार्केट आधारित पहुँच की पेशकश करता है जिसमें सरकारों द्वारा एमीशन लेवल (निकास स्तर) पर रोक लगाने के लिए काम किया जाता है और फर्मों को एमीशन (निकास) सम्बन्धी पर्मिट बाँटे जाते हैं। इस पहुँच में कण निकास की रियल टाईम और निरंतर रीडिंग भेजने और बेहतर तथा और ज्यादा केंद्रित नियंत्रक निगरानी के मापदण्डों को समर्थ करने के लिए निरंतर निकास निगरानी प्रणालियों (सीईएमएस) का प्रयोग शामिल है।
जे-पाल साउथ एशिया द्वारा विश्व के सबसे पहले ई.टी.एस. के द्वारा सूरत के 350 बहुत अधिक प्रदूिषत उद्योगों में पार्टिकुलेट एमीशन सम्बन्धी किये गए एक मुल्यांकन ने इस बात की पुष्टि की है कि यह योजना वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए एक विधि पेश करती है जो पारदर्शी और अनुमानित है। इसके अलावा इसमें फर्मों की अनुपालन लागत घटाकर पर्यावरण सम्बन्धी नियम और आर्थिक विकास के दरमियान व्यापार बढ़ाने की संभावना भी मौजूद है।