गौसेवा से बडा़ कोई पुण्य नहीं- खन्ना

दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। गौसदन बीनेवाल में तपोमूर्ति स्वामी कृष्णानंद जी महाराज के तत्वावधान में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व सांसद, पूर्व मुख्य सचेतक राज्य सभा एवं वर्तमान में हिमाचल प्रदेश भाजपा के प्रभारी अविनाश राय खन्ना तथा उनके साथ होशियारपुर जिला योजना बोर्ड के पूर्व चेयरमैन जवाहर खुराना ने वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से बचाव के लिए तीन सौ से अधिक मास्क वितरित किए इस अवसर पर खन्ना ने जनजागरण अभियान के तहत उपस्थित लोगों को कोरोनावायरस के बुुुरे दौर में सावधानी बरतने की जरूरत पर बल दिया उन्होंने कहा जब तक भारत में सभी को वैक्सीन नहीं लगता तब तक मास्क और बार-बार हाथ धोना और सामाजिक दूरी का पालन करना ही बचाव का एकमात्र उपाय है

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गौमाता के विषय में चर्चा करते हुए अविनाश राय खन्ना ने कहा कि विभिन्न देशों में अलग आकृति और आकार की गाय पायी जाती है। हमारे देश में यह छोटे कद की होते हैं जबकि कुछ देशों में यह बड़े कद-काठी और शारीरिक बनावट की होती है। इसकी पीठ लम्बी और चौड़ी होती है। खन्ना ने कहा हमें गाय की अच्छी तरह से देखभाल करनी चाहिए और उसे अच्छा भोजन और साफ पानी देना चाहिए। यह हरी घास, भोजन, अनाज और अन्य चीजें खाती है। पहले वह खाना अच्छी तरह से चबाती है और धीरे-धीरे उसे पेट में निगल जाती है। उन्होंने कहा दूध उत्पादन बढ़ाने तथा उसकी उत्पादन लागत कम करने के लिए गाय को सन्तुलित आहार देना चाहिए। संतुलित आहार में गाय की आवश्यकता के अनुसार समस्त पोषक तत्व होते हैं, वह सुस्वाद, आसानी से पचने वाला तथा सस्ता होता है। दूध उत्पादन में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, पशु को बारह मास पेट भर हरा चारा खिलाना चाहिए। इससे दाने का खर्च भी घटेगा तथा गाय का नियमित प्रजनन भी होगा। गाय को आवश्यक खनिज लवण नियमित रूप से देने चाहिए। गाय को आवश्यक चारा- दाना- पानी नियत समय के अनुसार ही देना चाहिए। समय के हेर-फेर से भी उत्पादन प्रभावित होता है। 

गौमाता के धार्मिक महत्व पर चर्चा करते हुए खन्ना ने कहा भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास है। यही कारण है कि दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है। प्राचीन भारत में गाय समृद्धि का प्रतीक मानी जाती थी। युद्ध के दौरान स्वर्ण, आभूषणों के साथ गायों को भी लूट लिया जाता था। जिस राज्य में जितनी गायें होती थीं उसको उतना ही सम्पन्न माना जाता है। कृष्ण के गाय प्रेम को भला कौन नहीं जानता। इसी कारण उनका एक नाम गोपाल भी है। इस अवसर पर गौसेवक जवाहर खुराना ने कहा हिंदू धर्म में यह माना जाता है की गौ-दान सबसे बड़ा दान होता है। गौ-दान से मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। हिंदुओं के तीज-त्योहार बिना गौ के घी के पूरे नहीं होते। तीज-त्योहार के दिन घर को गौ के गोबर से ही लीपा जाता है। उस पर देवताओं की प्रतिमाओं को बैठाया जाता है। कई लोग किसी जरूरी काम को करने से पहले गाय के दर्शन को बड़ा शुभ मानते हैं। 

खुराना ने कहा वहीं गाय के गोबर को खेती के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। गाय को अमृत जैसे दूध देने व अन्य गुणों के चलते, इसे धरती माता के समान पूज्य माना गया है। इसीलिए गाय को गौ-माता कहा जाता है। इस अवसर पर तपोमूर्ति स्वामी कृष्णानंद जी महाराज ने दोनों महानुभावों को सम्मानित किया और आशीर्वाद दिया तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की

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