दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े बांध पौंग बाँध में 20 जून से जलभराव सीजन शुरू हो चुका है और यह सीजन 20सितम्बर यानि तीन महीने तक चलेगा। 9 जुलाई को बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में सुबह 6 बजे 1277.61 फीट जलस्तर रिकार्ड किया और इसी समय झील में मात्र 7282 क्यूसिक पानी की आमद हो रही है तथा झील में से 8014 क्यूसिक पानी शाह नहर बैराज में छोड़ा जा रहा है विगत वर्ष आज के दिन बाँध में 1334.07 फीट जलस्तर रिकार्ड किया गया था। यदि पिछले साल से तुलना करें तो आज बांध में पिछले साल की तुलना में 1334-1277= 57 फीट जलस्तर कम है जो काफी असंतोषजनक तो है ही इसके साथ पानी की आवक बहुत कम है और नतीजे के तौर पर डिस्चार्ज भी कम है। सबसे चिंताजनक बात यह कि 20 जून से जलभराव सीजन की शुरुआत तो हो गयी परन्तु 20 जून को बाँध की महाराणा प्रताप सागर झील में 1289.24 फीट जलस्तर था जो आज 19 दिनों के उपरांत बढऩे की बजाय घट कर 1277.61 फीट रह गया है यानि की इन दिनों में 12 फीट पानी का लेबल घट गया है ऐसा मानसून की बेरुखी के चलते बारिश ना होने के कारण हुआ है
यहां चिंता की एक बात और भी है की बांध का ग्राउंड लेबल मात्र 1265 फीट है ऐसे में बाँध में पानी की स्थिति का अंदाजा सहज में ही लगाया जा सकता है। पिछले साल भी बरसात के सीजन में मानसून की कमजोर बारिश के चलते जलस्तर भरपूर न होने के कारण 306 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली यह विशाल इस समय छोटी सी झील नजर आती है। आंकड़े देख कर इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की बाँध में पानी की क्या स्थिति है। परन्तु मौसम विभाग की भविष्यवाणी कि इस बार मानसून सामान्य ही रहेगा एक अच्छा समाचार जरूर है। जिससे मानसून में बाँध में पानी का वांछित स्तर 1390-1395फीट तक जलभराव होने की उम्मीद प्रबल हुई है। इस विशाल बाँध की उंचाई 1410फीट है पर इसे ज्यादा से ज्यादा 1395फीट तक ही भरा जाता है। पौंग बाँध के बिजलीघर में कुल 6 टरबाइन कार्यरत हैं जो प्रत्येक 66 मेगावाट की दर से कुल 396 मेगावाट बिजली उत्पादन करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। बांध से डिस्चार्ज के बाद यह पानी शाह नहर बैराज में आ रहा है और फिर इस पानी को मुकेरियां हाईडल नहर में छोड़ा जा रहा है जहाँ चार पावर हाउस में 225 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रही है। बांध से हरयाणा, पंजाब, हिमाचल और राजस्थान को पानी सिंचाई हेतु आबंटित किया जाता है । ध्यान योग्य बात है कि चाहे यह बाँध ब्यास नदी पर बना है पर यह पूरी तरह बारिश पर ही निर्भर है। क्यूंकि ब्यास का सारा पानी मंडी में ब्यास सतलुज लिंक सुरंग से सतलुज में डाल दिया गया है और वह सीधा भाखड़ा बाँध में चला जाता है नतीजतन पौंग बांध में ग्लेशियरों का पानी नही आता बल्कि मात्र बारिश का पानी ही एकत्रित होता है। इसीलिए पौंग बाँध को रेन फेड और भाखड़ा को स्नो फेड कहते हैं।
निराश हुए राजस्थान के लोग:
वहीं आज राजस्थान के जिला श्री गंगानगर के कस्बा अनूपगढ़ के निवासी बलवंत नागपाल ,मंगू नागपाल ,चम्पक ,गुरजंट सिंह ,राजू तथा अन्य जो लाक डाउन हटने के बाद धर्मशाला घूमने आए थे आज वापिसी पर पौंग बांध निहारने आये और बांध में पानी की स्थिति देख कर निराश हुए बलवंत नागपाल ने कहा इसी बांध से पानी हरिके पत्तन पहुंचता है और फिर गंग नहर राजस्थान कनाल से होते हुए उनके जिले को सरसब्ज करता है। उन्होंने कहा यदि ऐसे ही हालात रहे तो उनकी फसलों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला तो उन्हें भारी नुक्सान का सामना करना पड़ेगा उन्होंने कहा अब तो मेघों का ही सहारा है।