कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: कुमार गौरव। हैरिटेज सिटी क्षेत्र में नियम-कायदों को ताक पर रखकर सैकडों आवासीय एवं व्यावसायिक भवन निर्माण कार्य बिना परमिशन व नक्शा स्वीकृत कराए बिना धड़ल्ले से हो रहा है।जिससे जहां एक तरफ नगर निगम प्रशासन को लाखों रुपए का राजस्व का घाटा उठाना पड रहा है,वहीं दूसरी तरफ हैरिटेज सिटी क्षेत्र की सूरत बिगड़ने के साथ ही आमजन की परेशानियां बढ़ती जा रही है।गौर करने वाली बात यह है कि नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी खुद स्थिति से वाकिफ होने के बावजूद साल में एक बार मुनादी कराकर कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेते हैं।पिछले कई साल से ऐसा ही चल रहा है।शुक्रवार को यूथ अकाली दल के राष्ट्रीय उपप्रधान अवि राजपूत ने इस मामले का कड़ा नोटिस लेते हुए नगर निगम के कमिश्नर आदित्य उप्पल से मुलाकात कर एक मांग पत्र दिया।जिमे मांग की गई की शहर के अलग अलग छेत्रो में कुछ लोगो द्वारा बिना सीएलयु व बिना नक्शा पास करवाए बिल्डिंगे बनाई गई है और बनाई जा रही है,जिन पर नगर निगम तुरंत करवाई करे। इस उपरांत अवि राजपूत ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि शहर के अलग अलग क्षेत्रों में बिना नक्शा पास करवाए बिल्डिंगे बनाई गई है और बनाई जा रही है,और कमर्शियल बिल्डिंगे भी गैर क़ानूनी तरीके से बन रही है और चल रही है,इस सारे मामले के बारे में कुछ जिम्मेदार अधिकारिओ को सब कुछ मालूम होते हुए भी ऐसी इमारतों का निर्माण होना नगर निगम के कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है।
उन्होंने कहा कि नगर निगम से बिना नक्शा स्वीकृत कराये शहर के विभिन्न हिस्सों में बहुमंजिली इमारतों का अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है।इनमें मकान भी शामिल हैं और दुकान भी।नियमों की दरकिनार कर शहर में न केवल कई मंजिला भवन बन रहे हैं, बल्कि होटल तक बनाए जा रहे हैं।नगर निगम कुंभकरनी नीद में सो रहा है,बावजूद इसके न तो लोग अवैध निर्माण करने से रुक रहे हैं और न ही नक्शे पास करा रहे हैं।अवि राजपूत ने कहा कि शहर में बन रहे अवैध मकानों के निर्माण को रोकने की जिम्मेवारी नगर निगम की है।संबंधित अधिकारियों की लापरवाही के कारण बिना नक्शा पास कराये धड़ल्ले से मकानों का निर्माण हो रहा है।उन्होंने कहा कि खुद का मकान हर व्यक्ति का सपना होता है।
मकान बनाने से पहले काफी तैयारी करता है।वह प्राइवेट इंजीनियर से नक्शा भी बनवाता है।नियमानुसार नक्शे को नगर निगम से स्वीकृत कराना अनिवार्य होता है।लेकिन पैसे बचाने के लालच में लोग बनवाए गए नक्शे को पास नहीं करवाते हैं।बिना परमिशन मनमर्जी से भवन निर्माण कराते हैं।जो लोग नक्शा पास करवाते हैं तो नक्शे के अनुसार काम नहीं करवाते हैं।स्वीकृत नक्शे के बजाय निर्माण का दायरा बढ़ाकर सड़क व आसपास की खाली जमीन पर भी मकान खड़े किए जा रहे हैं।ऐसे में नक्शा पास कराना और नहीं कराना बराबर हो जाता है।