कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़)। रिपोर्ट : कुमार गौरव। यह छोकरा तो काबू नहीं आ रहा, इस पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना होगा, यह उदगार श्री प्रताप धर्म प्रचारणी रामलीला दशहरा कमेटी द्वारा सांय देवी तालाव और रात्रि को शालीमार बाग में मंचित नाटक लक्ष्मन मुर्छा के मंचन दौरान कहे गए। शालीमार बाग में मंचित इस नाटक का उद्घाटन कमलजोत सिंह बतरा ने अपने कर कमलों से किया।
इससे पहले श्रीराम ने युद्ध से पहले एक बार अंगद को अपना शांतिदूत बना कर लंकापति रावण के पास भेजा और माता सीता को उन्हें लौटाने और युद्ध रोकने का अवसर दिया परंतु अभिमानी रावण ने प्रभु श्री राम के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और युद्ध का ऐलान कर देता है। इसके बाद भयंकर युद्ध होता है। रावण सेना की अगुवाई उसका पुत्र मेघनाद करता है और राम सेना की बागडोर लक्ष्मण संभालता है, परंतु मेघनाद कपट से ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर लक्ष्मण को मुर्छित कर देता है। बाद में सुषेन वैद्य के कहने से बजरंगबली संजीवनी बूटी लेकर आते हैं और लक्ष्मण होश में आ जाते हैं। जयश्री राम और जय बंजरगवली के जयकारों से माहौल धार्मिक हो जाता है।
रावण का अभिनय मंझे हुए कलाकार पवन कालिया, प्रभु राम का किरदार चेतन, लक्ष्मन का अभिनय अंकुर व मेघनाद का किरदार मनीश ने निभाया। इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष विनोद कालिया, कृष्ण लाल सर्राफ, कमलजीत सिंह, बिशंवर दास, रजिंदर वर्मा, सतीश शर्मा, सुरिंदर शर्मा, राजेश सूरी, दबिंदर कालिया, मंगल सिंह, एडवोकेट पवन कालिया, गुलशन लुंबा, अश्वनी सूद, हरबंत सिंह भंडारी, देश बेरी, त्रिलोचन सिंह धिंजन, अशोक बवल, जसबिंदर सिंह, भूपिंदर सिंह, बलजिंदर सिंह, बावा पंडित, किशन दत शर्मा, रघु शर्मा, धर्मपाल तथा दर्जनों कलाकार उपस्थित थे।
श्री रामलीला मंचन: लक्ष्मण को मूर्छित देख प्रभु श्रीराम की आंखों से छलका नीर
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