दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। विश्व मधुमेह दिवस पर बीबीएमबी अस्पताल तलवाड़ा के मैडिकल अफसर डाक्टर अमरजीत सिंह ने कहा कि इस समय भारत में लगभग पांच करोड़ मधुमेह रोगी हैं। मधुमेह वृध्दि की दर चिंताजनक है। विश्व भर में इस से हर साल लगभग 50 लाख लोग नेत्रों की ज्योति खो देते हैं और दस लाख लोग अपने पैर गंवा बैठते है। मधुमेह के कारण प्रति मिनट 6 मौतें होती हैं और गुर्दे नाकाम होने का यह प्रमुख कारण है। आज विश्व के लगभग 95 प्रतिशत रोगी टाईप 2 मधुमेह से पीडि़त है।
आजकल होटलों और फास्ट फूड सेंटर्स में जाने का चलन बढ़ा है। लोग आवश्यकता से अधिक कैलोरी का भोजन करके मोटापे का शिकार हो रहे हैं जबकि उनकी दिनचर्या में व्यायाम और शारीरिक श्रम का अभाव है। युवाओं और बच्चों में यह प्रवृत्ति आम है। इस कारण कम उम्र के मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
डॉ अमरजीत सिंह ने बताया कि साधारण भाषा में इसे शुगर या शक्कर की बीमारी कहते हैं। यहां शक्कर से आशय हमारे शरीर में व्याप्त ग्लूकोज से है। रक्त ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और कार्बोहाइड्रेट आंतों में पहुंचकर ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है फिर अवशोषित होकर रक्त में पहुंचता है। रक्त से कोशिकाओं के भीतर उसका प्रवेश होता है और इसके लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो शरीर के पेंक्रियाज (अग्नाशय) नामक ग्रंथि से निकलता है। इंसुलिन की कमी से रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। उन्होंने बताया इसके दो प्रकार हैं टाइप वन मधुमेह और टाइप-2 मधुमेह, टाइप-2 मधुमेही अधिक आयु के लोगों में होता है। इस मधुमेह के कुछ रोगियों के लिए भी इंसुलिन लेना आवश्यक होता है। मधुमेह के पीडि़तों में लगभग 90 प्रतिशत टाइप 2 मधुमेह के रोगी होते हैं। अन्य जटिलताओं में आंखों की रोशनी जाना, मूत्राशय और गुदे का संक्रमण तथा खराबी, धमनियों में चर्बी के जमाव के कारण चोटों में संक्रमण तथा हाथ-पैरों में गैंग्रीन और हृदय रोग होने का ख़तरा रहता है। अंत ऐसे रोगियों का सिफऱ् मधुमेह का उपचार नहीं होता बल्कि उनके तमाम अंगों की कार्यप्रणाली भी नियंत्रित करनी पड़ती है।
मधुमेह अब भारत में आम बीमारी का रूप ले चुकी हैं, हर घर में इसका एक न एक मरीज अवश्य है। इस रोग को ठीक नहीं किया जा सकता पर दवाओं, व्यायाम और सही खान पान से नियंत्रित अवश्य किया जा सकता है। बच्चे और युवा वर्ग इससे अधिकाधिक पीडि़त हो रहे हैं। अत एवं बच्चों को स्वस्थ रहने के लिए खेद-कूद एवं शारीरिक श्रम वाली गतिविधियों के लिए प्रेरित करना नितांत आवश्यक है। ख़ास तौर पर जिनके माता-पिता मधुमेह से ग्रस्त हैं उन्हें मोटापे से बचना चाहिए और गरिष्ठ एवं अधिक वसायुक्त भोजन, चिप्स, पिज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि से परहेज करना चाहिए। युवाओं को भी इस रोग से बचने के लिए स्वस्थ जीवन-शैली अपनानी चाहिए और स्वास्थ्यवध्र्दक पोषक आहार का सेवन करना चाहिए। आहार में वसायुक्त पदार्थों और शक्कर की मात्रा कम लेनी चाहिए। उन्होंने कहा स्मरण रहे कि मधुमेह जड़ से खत्म होने वाला रोग नहीं है, इसे व्यायाम, संतुलित आहार व प्राकृतिक उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है। अंत इसकी चिकित्सा में व्यायाम एवं प्राकृतिक उपायों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। सच तो यह है कि संतुलित आहार विहार और स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर जीवन पर्यंत निरोग रहा जा सकता हैं।