पंजाब में शिक्षा प्रणाली पर परगट ने केजरीवाल को दिखाया आईना

जालंधर (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब की शिक्षा प्रणाली पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को आईना दिखाते हुए शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने आज स्पष्ट कहा कि पंजाब में 19377 स्कूल हैं, जिनकी दिल्ली के 2767 स्कूलों के साथ तुलना नहीं की जा सकती। शिक्षा मंत्री ने अरविन्द केजरीवाल को सस्ते प्रचार के हथकंडे अपनाने की बजाय मुद्दों पर अधारित राजनीति करने की सलाह दी। यहां पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए मंत्री ने कहा कि पंजाब जैसे संपूर्ण राज्य को दूर-दराज के स्कूलों को चलाने की पेचीदगियां दिल्ली जैसी नगर पालिका से पूरी तरह अलग चुनौती हैं। पंजाब में दिल्ली की अपेक्षा 7 गुणा ज़्यादा स्कूल हैं। उन्होंने विद्यार्थियों, अध्यापकों, प्रवासी भारतियों और पंजाब के नागरिकों को शुभकामनाएं भी दी, जिनके प्रयासों से पंजाब ने नेशनल परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडैक्स (पी.जी.आई.) में चोटी का स्थान हासिल किया।

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राज्य सरकार की तरफ से शैक्षिक ढांचे को और मज़बूत करने के लिए की पहलकदमीयों पर रोशनी डालते हुए मंत्री ने कहा कि विभाग की तरफ से स्कूलों और कालेजों में तकरीबन 20,000 अध्यापकों की भर्ती शुरू की गई है, जोकि अगले महीने तक पूर्ण होने की उम्मीद है। इसके अलावा रोज़गार में सुधार के उदेश्य से शिक्षा वर्तमान समय के अनुसार बनाने के लिए राज्य के चोटी के शिक्षा शास्त्रियों का एक मंच तैयार किया गया है। केजरीवाल सरकार पर तीखा हमला करते हुए मंत्री ने कहा कि दिल्ली और पंजाब में विद्यार्थी -अध्यापक अनुपात में दोनों राज्यों में क्रमवार 32.27 और 25 प्रतीशत का फर्क है। उन्होंने कहा कि पंजाब ने उच्च प्राइमरी  स्तर तक ज़ीरो प्रतिशत ड्राप आउट दर को बरकरार रखा है। उन्होेंने यह भी बताया कि ‘आप ’ के सीनियर नेता एच.एस.फूलका की तरफ से भी पी.जी.आई. में विलक्ष्ण प्राप्ति पर पंजाब के शिक्षा माडल की प्रशंसा की गई थी। परगट सिंह ने आगे कहा कि पंजाब में स्मार्ट स्कूल, मैरीटोरियस स्कूल, सीमा क्षेत्रों के स्कूल, अध्यापकों की संख्या और ग्रामीण स्कूलों का विशाल शैक्षिक ढांचा है।

दाख़िलों के बारे में जानकारी देते हुए परगट सिंह ने कहा कि पंजाब के सरकारी स्कूलों में दिल्ली के 47.04 के मुकाबले 55.5 प्रतिशत है। इसी तरह पंजाब के स्कूलों की प्राईमरी से उच्च प्राईमरी ग्रुप में तबदीली 99.37 प्रतिशत, उच्च प्राईमरी से सैकेंडरी में 100.75 प्रतिशत है जबकि दिल्ली में क्रमवार 97.01 और 97.07 प्रतिशत है। इसी तरह जहां पंजाब के सकैंडरी स्कूलों में बच्चों के बरकरार रहने की दर (रिटैंशन रेट) दिल्ली के 81.08 प्रतिशत के मुकाबले 86.02 प्रतिशत है वहीं हायर सैकेंडरी में पंजाब के स्कूलों में रिटैंशन दर 91.09 प्रतिशत है, जो अगस्त में दिल्ली में 59.04 प्रतिशत थी। मंत्री ने कहा कि राज्य को शिक्षा ग्रांटों के प्रबंधन में केंद्र की तरफ से वित्तीय पक्षपात के बावजूद पंजाब यह सब कुछ हासिल करने के समर्थ है।

मंत्री ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि पंजाब कभी भी केजरीवाल के एजेंडे पर नहीं रहा क्योंकि वह पंजाब में कुछ और दिल्ली में कुछ और बात करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में न तो कभी केजरीवाल और न ही उनके किसी मंत्री की तरफ से स्कूलों का दौरा किया गया और अब आगामी पंजाब विधान सभा मतदान को ध्यान में रखते वह स्कूलों का दौरा कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री पर बरसते परजट सिंह ने आरोप लगाया कि उनकी आम आदमी पार्टी ने पंजाब में निवेश करने के नाम पर प्रवासी भारतियों से भारी फंड इकट्ठा किया गया परन्तु उन्होंने पंजाब के स्कूलों पर एक पैसा भी नहीं खर्चा और इस तरह एन.आर.आई. भाइयों के साथ धोखा किया। एक सवाल के जवाब में परगट सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से हज़ारों विद्यार्थियों की सुविधा के लिए जल्दी ही 5वीं और 8वीं कक्षा के दाख़िलों पर जुर्माने माफ करने के लिए नोटीफिकेशन जारी किया जायेगा।

इस अवसर पर विधायक राजिन्दर बेरी, सुशील रिंकू भी मौजूद थे। मंत्री की तरफ से टी.ई.टी. के पास अध्यापकों से मुलाकात:  परगट सिंह ने टी.ई.टी.पास उम्मीदवारों के साथ बातचीत भी की और उनकी समस्याएं गौर से सुनी। उन्होंने उम्मीदवारों के मसलों से सम्बन्धित ज़रुरी कदम उठाने का विश्वास दिलाया और यह भी कहा कि वह अलग -अलग मुद्दों पर रोष दर्ज करवाने वाले अध्यापक भाईचारो के मामलों को सुनने के लिए हमेशा उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मामले विचाराधीन हैं, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री तो अध्यापकों की जल्दी से जल्दी भर्ती को यकीनी बनाने के लिए सकारात्मक हैं।

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