-विद्यार्थियों से रूबरू हुए प्रसिद्ध साहित्यकार दर्शन सिंह दर्शन
होशियारपुर, ( द स्टैलर न्यूज़) रिपोर्ट: गुरजीत सोनू : पंजाबी भाषा की अपनी एक रागात्मकता है, उसमें एक लय है। हम भले ही कितने भी विदेशी हो जाए, विदेशी भाषा को अपना लें, लेकिन अपनी जड़ों और अपनी भाषा से दूर नहीं जा सकते। हम पंजाबी में सोचते हैं, इसी भाषा में दिनभर बात करते हैं इसलिए पंजाबी भाषा को लेकर जो डर है वह उचित नहीं। प्रसिद्ध कवि और लेखक दर्शन सिंह दर्शन ने यह बात कही। वे सरकारी मिडिल स्कूल मिर्जापुर स्कूल में बच्चों के साथ संवाद कर रहे थे। पंजाबी भाषा के भविष्य को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में दर्शन ने इसे तात्कालिक बताते हुए कहा कि भाषा को लेकर जो डर है, वह शिक्षा जगत में ज़्यादा है क्योंकि हमने पंजाबी को पाठ्य पुस्तक के ज्ञान तक सीमित कर दिया। ज़रूरत इस बात की है कि पंजाबी को पाठ्य पुस्तक के साथ साथ मनोरंजन की दृष्टि से भी पढ़ाया जाए। उनका कहना था कि जो केवल ज्ञान की दृष्टि से पढ़ाया जाता है वह बच्चों में डर पैदा करता है।
बच्चों की हंसी के बीच अध्यापकों के साथ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि पुरस्कार मुझे खुशी नहीं देते, क्योंकि उससे आप में एक जिम्मेदारी बढ़ जाती है और आप अपने आपको एक सेलिब्रिटी समझने लगते हैं। इससे आप अपने कार्य और जीवन को खुल कर नहीं जी पाते। उन्होंने बताया कि पुरस्कार उन्हें खुशी नहीं देते। एक सवाल के जवाब में के एक अध्यापक, एक जिला शिक्षा अधिकारी, एक सीनियर लेक्चरर और एक साहित्यकार इतनी सारी भूमिकाओं मैं कार्य करने वाले को क्या केवल साहित्यकार बनकर नहीं जीया जा सकता, का जवाब देते हुए श्री दर्शन बोले कि हर आदमी को दो तरह की जि़न्दगी जीनी पड़ती है एक जीविका के लिए और एक अपने मन की खुशी के लिए।
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दोनों का ही अपना महत्व है क्योंकि पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने के लिए नौकरी करना पड़ती है और मन की जिम्मेदारी निभाने अपने मन का काम। बच्चों और शिक्षकों के अनुरोध पर श्री दर्शन सिंह ने अपनी दो कविताओं का वाचन भी किया।दर्शन सिंह ने स्कूल का विजि़ट करते हुए स्कूल परिसर की तारीफ़ की। खासकर उन्होंने स्कूल परिसर में चारों तरफ़ छाई हरियाली और स्कूल लाइब्रेरी की प्रशंसा की । स्कूल लाइब्रेरी में उन्होंने धूप दा सफर और तपसवण किताबों का सेट भेंट किया। स्कूल पहुंचने पर बच्चों ने उनका स्वागत किया और उनकी लिखी कविताओं का वाचन किया। रुबरु कार्यक्रम में सारे प्रश्न विद्यर्थियों ने ही पूछे। कार्यक्रम का संचालन मुख्याध्यापक रविंदर पाल सिंह और गुरमेल सिंह ने किया। अंत में रजनीश कुमार गुलियानी व स्कूल स्टाफ ने स्मृति चिन्ह भेंट कर श्री दर्शन को सम्मानित किया।
इस मौके पर प्रिंसिपल डाइट सुखविंदर कौर, प्रिंसिपल गुरमीत कौर सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल कोटला नोध सिंह, ब्लॉक प्राइमरी शिक्षा अधिकारी होशियारपुर एक ऐ करनैल सिंह मठारू, मुख्य अध्यापिका सुरजीत कौर, रविंद्र पाल सिंह रवि, गुरमेल सिंह, रजनीश कुमार गुलियानी, परमजीत कौर, सिमरनजीत कौर, परमजीत सिंह,स्कूल के विद्यार्थी उपस्थित थे ।