शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हेतु जाने जाएंगे पूर्व चेयरमैन एडवोकेट मरवाहा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। कहते हैं जब भगवान कोई ताकत प्रदान करते हंै तो व्यक्ति को ऐसे काम करने चाहिए जिन्हें आने वाली पीढिय़ां भी याद रखें और कुछ ऐसे ही जनकल्याण और शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि संबंधी किए गए कार्यों के लिए जाने जाएंगे नगर सुधार ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन एडवोकेट राकेश मरवाहा। 3 सितंबर 2019 का वीरवार का दिन जिस दिन एडवोकेट मरवाहा ने बतौर चेयरमैन ट्रस्ट का पदभार संभाला तो उनके मन में एक ही सपना था कि वह शहीदों के बताए मार्ग पर चलते हुए कुछ ऐसा करें कि आने वाली पीढिय़ों के लिए भी वह मिसाल बने। इसी के चलते उन्होंने नगर निगम की समस्त स्कीमों को शहीदों को समर्पित किया और जहां वर्षों से बंद पड़ी मार्किट का जीणोद्वार करके जनता को समर्पित किया वहीं उनके नाम शहीदों के नाम पर रखे व शहीदों के बुत लगवाए ताकि लोग उनके जन्मदिन एवं शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर सकें।

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चेयरमैन रहते नगर सुधार ट्रस्ट की समस्त स्कीमें की शहीदों को समर्पित
आपको बता दें तत्कालीन पंजाब सरकार और कैबिनेट मंत्री सुन्दर शाम अरोड़ा की अगुवाई एवं मार्गदर्शन में उन्होंने मिनी सचिवालय के साथ लगती मार्किट का नाम शहीद करतार सिंह सराभा, सचिवालय के सामने पड़ती मार्किट का नाम शहीद ऊधम सिंह, रेड रोड पर पड़ती मार्किट का नाम लाला लाजपतराय और फतेहगढ़ चौक स्थित मार्किट का नाम शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के नाम पर रखे। इतना ही नहीं उन्होंने शहीदों के बुत लगवाकर इस पर मोहर भी लगा दी ताकि आम लोगों खासकर युवा वर्ग को शहीदों की जीवनी एवं आदर्शों के साथ जोड़ा जा सके। शहीदों के जन्म एवं शहीदी दिवस पर उक्त स्थानों पर श्री मरवाहा द्वारा जहां कार्यक्रम आयोजित करवाए जाते हैं वहीं शहर के और संस्थाएं भी अब यहां पहुंचकर शहीदों को नमन करने हेतु पहुंचती हैं। शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि प्रकट करते हुए श्री मरवाहा का कहना है कि उन्होंने शहीद भगत सिंह व अन्य शहीदों के बारे में काफी पढ़ा है और उन्हें लगता है कि प्रत्येक नागरिक को उनके बारे में पढऩा चाहिए ताकि सभी को जानकारी मिल सके कि देश पर मर मिटने वाले किन उच्च विचारों और आदर्शों के मालित थे तथा उन्होंने क्या सपने लेकर अपने प्राणों की आहुति दी थी। आज जो सिस्टम हमारे देश में चल रहा है उसे देखकर कहीं न कहीं शहीदों की आत्मा दुखी जरुर होती होगी, क्योंकि जिस आजाद भारत देश की उन्होंने कल्पना की थी वह अभी तक अधूरी है और उसे पूरा करने के लिए हम सभी को जहां अपने कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह से संजीदा होना होगा वहीं ऐसा करने से ही हमारे अधिकार भी सुरक्षित होंगे। श्री मरवाहा ने कहा कि उन्हें खुशी है कि परमात्मा ने उन्हें इस काबिल बनाया कि वह जिन शहीदों के बारे में पढ़ते थे उनके निमित कोई ऐसा कार्य कर पाए हैं जो उनके आगे से गुजरने वाले लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। 

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