कपूरथला रियासत में एकमात्र शहीदी स्मारक बनवाने का श्रेय शहीद-ए-आजम भगत सिंह यूथ क्लब को

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गौरव मढिय़ा। कपूरथला रियासत में एकमात्र शहीदी स्मारक बनवाने का श्रेय शहीद-ए-आजम भगत सिंह यूथ क्लब के संस्थापक व प्रधान चंद्रशेखर कालिया और उनकी तरह सोच रखने वाले सदस्यों को जाता है। क्लब से जुड़े संस्थापक सदस्यों ने अपने बूते पर शहीद भगत सिंह चौक भी स्थापित करवाया है, जिसकी देखभाल 2010 से क्लब के सदस्य करते आ रहे हैं।संस्थापक व अध्यक्ष चंद्रशेखर कालिया व उपप्रधान विशाल राजपूत बताते हैं कि शहर में कोई शहीदी स्मारक नहीं था, जिससे युवा पीढ़ी सीख ले सके। इसके बाद उन्होंने अपनी सोच से मिलते-जुलते सदस्यों विशु शर्मा, अमनदीप गोल्डी और विदेश जा बसे सोनू पंडित ने मिलकर 2007 में शहीद भगत सिंह यूथ क्लब का गठन किया।

Advertisements

वर्ष 2010 में बिना किसी मदद के अपने बूते पर 60 हजार रुपये की लागत से शहर में शहीद भगत सिंह चौक बनवाया, जहां शहीद की प्रतिमा स्थापित की गई, जिसका अनावरण क्रिकेटर हरभजन सिंह ने किया था।‘भगत सिंह तेरी सोच ते पहरा देआंगे ठोक के’ शहीद-ए-आजम भगत सिंह यूथ क्लब के सदस्य विशु शर्मा, अमनदीप गोल्डी व सोनू पंडित कहते हैं कि जिस क्रांतिकारी सोच की बदौलत शहीद भगत सिंह और उन जैसे असंख्य क्रांति वीरों ने देश को आजाद करवाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए कदम पीछे नहीं खींचे। उनकी शहादत की वजह से ही हम सब आजाद हवा में सांस ले रहे हैं लेकिन अब की पीढ़ी को शहीदों की अहमियत का जरा सा भी इल्म नहीं है, जोकि बेहद चिंता की बात है।

उन्होंने कहा कि हम सबका नैतिक फर्ज और जिम्मेदारी है कि युवाओं को शहीदों की शहादत के बारे में बताएं और उस मंजर को महसूस करवाएं, जो अंग्रेजी हुकूमत की ज्यादतियां हमारे शूरवीरों ने सहीं। बस, इसी सोच से युवाओं को अवगत करवाने में क्लब प्रयासरत है और हमेशा रहेगा। चंद्रशेखर कालिया का कहना है कि पंजाब का युवा हताश है लेकिन इस बात का गर्व है कि जब भी शहीद भगत सिंह की तस्वीर व बुत आगे आता है तो नौजवान जोशीला हो जाता है। उनका क्लब युवाओं को शहीद भगत सिंह की विचारधारा से जोड़ता है। देश के प्रति युवाओं के दिलों में जज्बा पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं को भारी संख्या में शहीद भगत सिंह क्लब के साथ जोडक़र राष्ट्र के प्रति प्रेम पैदा किया है।शहीद भगत सिंह से हमें सच्चाई और आदर्शों पर निडर होकर चलने की प्रेरणा मिली है। यह कहना है चंद्रशेखर कालिया का।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here