तीर्थों का तीर्थ है अमरनाथ यात्रा: राजिंदर मदान

दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। बाबा बर्फानी के दर्शन यानी कि अमरनाथ यात्रा की शुरुआत आज 30 जून से दोनों मार्गों पर एक साथ होगी. अमरनाथ यात्रा के लिए यात्रियों के रजिस्ट्रेशन की शुरुआत  हो चुकी है. इसमें यात्रा के दोनों मार्ग बालटाल और पहलगाम से यात्रा करने वाले श्रद्धालु आवेदन कर रहे हैं

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आज अड्डा झीर दा खूह के नज़दीक एक ढाबे चिंतपूर्णी मां के दर्शन कर नाश्ता करने रुके करनाल के शिवभक्त राजिंदर मदान तथा साथियों ने बताया की अमरनाथ यात्रा कुल 43 दिनों तक चलेगी और सावन की पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन 11 अगस्त 2022 को खत्म होगी। उन्होंने कहा अमरनाथ यात्रा शिव भोले को समर्पित है हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में समुद्रतल से 13हजार 600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है।  राजिंदर मदान ने कहा कि इस गुफा की लंबाई (भीतर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई 16मीटर है। गुफा 11मीटर ऊँची है। उन्होंने कहा अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्यों कि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। 

 राजिंदर मदान ने कहा यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू भी हिमानी शिवलिंग कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं।गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। मदान ने कहा श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं। 

उन्होंने कहा प्राचीन कल से यह कथा प्रचलित है कि इसी गुफा में माता पार्वती को भगवान शिव ने अमरकथा सुनाई थी, जिसे सुनकर सद्योजात शुकदेव जी ऋषि के रूप में अमर हो गये थे। गुफा में आज भी श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई दे जाता है, जिन्हें श्रद्धालु अमर पक्षी बताते हैं। वे भी अमरकथा सुनकर अमर हुए हैं। ऐसी मान्यता भी है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों को जोड़ा दिखाई देता है, उन्हें शिव पार्वती अपने प्रत्यक्ष दर्शनों से निहाल करके उस प्राणी को मुक्ति प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि भगवान शिव ने अद्र्धागिनी पार्वती को इस गुफा में एक ऐसी कथा सुनाई थी,

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