कथा जीवात्मा को प्रभु से मिलने के लिए सेतु का कार्य करती है: जयंती भारती

होशियारपुर/मुकेरियां (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एवं समूह नगर निवासियों के द्वारा पांच दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन मंदिर ग्राउंड मुकेरियां में किया गया है। जिसके प्रथम दिवस में संस्थान के संचालक एवं संस्थापक परम वंदनीय गुरुदेव सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या जयंती भारती जी ने कथा का वाचन करते हुए भगवान शिव जी महिमा को भक्तों के समक्ष रखा कथा का शुभारंभ शिव स्तुति से करते हुए बताया कि शिव समस्त प्राणियों के विश्राम स्थान है अनंत तापों पापों से उदि गन होकर विश्राम के लिए प्राणी यहां शयान करें बस उसी सर्वप्रिय ब्रह्मसत्ता को शिव कहा जाता है ।

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शिव कथा की रसधार में डुबकी लगाकर ही मन शीतल आनंद की अनुभूति करता है मन से विकारों की मलीनता मिटती है । मानव के मन में ईश्वरीय प्रकाश प्रकट होता है। कथा जीवात्मा को प्रभु से मिलने के लिये सेतु का कार्य करती है इसी सेतु पर चलकर युगों से भक्त प्रभु दर्शन का सौभाग्य पाते रहे। उन्होंने बताया कि आज अज्ञान अंधकार में भटक रहे मानव समाज को अध्यात्म ज्ञान की परम आवश्यकता है तभी मानव दानवता की खाइयों से निकल देवत्व की परम ऊंचाइयों को छू सकता है। कथा में गुरुदेव के शिष्यों ने सु मधुर भजनों से वातावरण शिवमय बना कर हमारे मन को शिव से जोड़ दिया। आगे साध्वी जी प्रकृति के बारे में बताया कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एवं समूह नगर निवासियो के द्वारा मोनसर मंदिर ग्राउंड, मुकेरियां में पांच दिवसीय भगवान शिव कथा का आज शुभारंभ हुआ।

इस कथा को वाचने के लिए साध्वी सुश्री जयंती भारती जी अपनी पूरी संत मंडली के साथ पहुंची। कथा के प्रथम दिवस में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री जयंती भारती जी ने बताया कि भगवान शिव की कथा मानव जाति को सुख समृद्धि व आंनद देने वाली है क्योंकि भगवान शिव कल्याण एवं सुख के मूल स्त्रोत हैं। वे सम्पूर्ण विद्याओं के ईश्वर समस्त भूतों के अधीश्वर,ब्रह्यवेद के अधिपति तथा साक्षात् परमात्मा हैं। भगवान भोलेनाथ की कथा में गोता लगाने से मानव को प्रभु की प्राप्ति होती है। लेकिन कथा सुनने व उसमें उतरने में अंतर होता है। सुनना तो सहज है लेकिन इसमे उतरने की कला हमें केवल एक संत ही सिखा सकता हैं। कथा के पहले दिन में महात्मय का वर्णन करते हुए साध्वी जी ने कहा कि चंचुला नाम की एक स्त्री थी जिसे जब संत का संग मिला तो वह शिव धाम की अनुगामिनी बनी। आगे साध्वी जी ने प्रकृति के बारे में बताया कि जिसने अपनी गोद में हमको नव जीवन नव प्राण दिया जिसके भू जल ने बंजर धरती माता का त्राण किया। आओ करें मिल उसका रक्षण, जिसने ये संसार दिया, सम्मान करें, प्रेम करें, मां प्रकृति का उत्थान करें। अंत में प्रभु की श्री पावन आरती के साथ कथा को विश्राम दिया गया। श्री आरती के लिए विशेष रूप में स्वामी सज्जानंद, साध्वी सुश्री रुक्मणी भारती, जंगी लाल महाजन जी विधायक मुकेरियां, राजेश शर्मा दा साव्रिन स्कूल, पार्षद हरमिंदर कौर, श्री कृष्ण जी व्यापारी, बलविंदर जी समाज सेवक, यग दत्त, एक्स्ट्रा स्मार्ट किड्ज से विवेक जैन ओर उनकी धर्मपत्नी और भारी संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित हुए ।

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