महाराज वल्भ सेन और महारानी माधवी के घर पैदा हुए महाराज अग्रसेन तेजस्वी और शूरवीर राजा थे: सेठ नवदीप अग्रवाल

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के प्रांतीय उपाध्यक्ष व प्रमुख समाज सेवी सेठ नवदीप कुमार अग्रवाल ने महाराजा अग्रसेन जयंती पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए महाराजा अग्रसेन जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महाराजा अग्रसेन अग्रवाल समाज के पितामह थे जिनका जन्म आज से 5146 वर्ष पूर्व पहले कलियुग के आरंभ और द्वापर युग के अंत में आश्विन शुक्ल प्रतिपदा मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की 34वीं पीढ़ी में सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल के महाराजा वल्लभ सेन और महारानी भगवती के घर हुआ था। इस दिन को पूरे देश में अग्रसेन जयंती के रूप में मनाया जाता है। उनके जन्म उपरांत कुल पुरोहित गर्ग ऋषि जी ने अग्रसेन जी के एक बड़ा शासक और परिवार की ख्याति में चार चांद लगाने की भविष्ययवाणी की थी जोकि सच्च हुई। अग्रसेन जी बचपन से ही तेजस्वी और शूरवीर थे, जिन्होंने युवावस्था में पांव रखते ही अपने पिता के शासकीय कामकाज को कुशलतापूर्वक देखना शुरू कर दिया।

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अग्रवाल समाज के अग्रदूत महाराज अग्रसेन को 5146वीं जयंती पर शत्-शत् नमन

महाराज अग्रसेन ने तंत्रीय शासन प्रणाली के प्रतिकार में एक नई व्यवस्था को जन्म दिया तथा उनके नगर में बाहर से आकर बसने वाले व्यक्ति को भी अपने पैरों पर खड़ा करने और नगर में आकर खुद को असुरक्षित महसूस न करे इसके लिए नगर का प्रत्येक निवासी उसे एक रूपया और एक ईंट देगा, जिससे उसे निवास स्थान और व्यापार का प्रबंध करने में आसानी हो। महाराज अग्रसेन को अग्रदूत कहकर भी सुशोभित किया जाता है। महाराज अग्रसेन ने जर्जर हो चुकी एकतंत्रीय प्रणाली को समाप्त किया और अनुकरणीय लोकतांत्रिक प्रणाली का शुभारंभ किया जिसमें सभी वर्गों को संगठित किया। युग प्रवर्तक अहिंसा के पुजारी, शांति दूत, अग्रवाल समाज के संस्थापक के रूप में महाराजा अग्रसेन के नाम से प्रसिद्ध हुए। उस समयकाल दौरान देश में राजवंशों की भरमार और निराशा का घोर अंधेरा था, उस समय महाराज अग्रसेन ने समाजवाद तथा आदर्श लोकतंत्र की प्रकाश बिखेर कर जग में उजाला किया। महाराज अग्रसेन के राज्य की प्रशंसा दूर-दूर तक होने लगी तथा इसके साथ ही अग्रसेन जी की दूरदर्शी सोच के चलते उनके दुश्मन भी उनके मित्र बनते गए।
वहीं, पिता के आदेशानुसार नागलोक के महाराज महीधर और महारानी नागेंद्री की पुत्री राजकुमारी माधवी के साथ विवाह हुआ। जिन्होंने स्वयंवर में पहुंचे राजकुमार अग्रसेन की सुंदरता और तेज से प्रभावित होकर उनके गले में वरमाला डालकर उन्हें अपना पति चुन लिया। उन दोनों के विवाह से 2 संस्कृतियों का विकास हुआ तथा राज्य को और ताकत मिली। महाराज अग्रसेन ने पिता के काल ग्रसित होने पर लोहगढ़ जाकरपिंडदान किया। जिसके बाद पिता का स्वप्न आदेश मिलने पर सरस्वती और यमुना के बीच एक स्थान पर विधिपूर्वक नए राज्य आग्रेयण की स्थापना की। जीओ और जीने दो का संदेश देकर चारों ओर फैलेअंधकार को भी उजियारा करने वाले अग्रसेन जी महाराज थे। महाराज अग्रसेन के घर 18 पुत्रों ने जन्म लिया जिनका नामकरण विभिन्न ऋषियों के नाम पर हुआ और उनके नाम पर अग्रवंश के गोत्रों की स्थापना हुई जो आज गीता के 18 अध्यायों की तरह अग्रवंशियों को आपस में जोडकऱ रखे हुए हैं। सेठ नवदीप अग्रवाल ने बताया कि मां लक्ष्मी जी की आराधना कर वर प्राप्त किया कि जब तक अग्रवाल वंशज मां लक्ष्मी की अराधना करते रहेंगे तब तक धन धान्य से संपन्न रहेंगे। महाराज अग्रसेन जी ने धार्मिक समागमों में पशु बलि के स्थान पर नारियल की आहुति देने का संदेश दिया। जिनके संदेश पर चलते तथा प्रशस्त मार्ग पर चलते हुए अग्रवाल वंशज पूर्ण रूप से शाकाहारी, अहिंसक और धर्म परायण हैं। श्री सेठ ने कहा कि 108 वर्षों तक कुशलता पूर्वक शासन करने के बाद कुलदेवी मां लक्ष्मी जी के आदेश से महाराजा अग्रसेन ने अपने बड़े पुत्र विभु को शासन का कार्यभार सौंप वानप्रस्थ आश्रम की तरफ प्रस्थान किया।
सेठ नवदीप अग्रवाल ने कहा कि अग्रवाल जी के वंशज आज अग्रवाल के नाम से पूरे विश्व में जाने जाते हैं जिसमें कई विभूतियों ने अपने कार्यों से अग्रवाल समाज का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। इनमें स्वतंत्रता सैनानी लाला लाजपत राय जी, सर गंगा राम, भारतेंदू हरीश चंद्र, डा. राम मनोहर लोहिया, महात्मा गांधी, मैथिली शरण गुप्त, सर छोटू राम, और सेठ जमना दास प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर दूर अग्रोहा अग्रवाल समाज द्वारा देश के 5वें तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है जहां प्रतिदिन देश और विदेशों से हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।

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