श्री प्रताप धर्म प्रचारणी रामलीला दशहरा कमेटी ने किया सीता हरण, हनुमान नाटक का मंचन

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गौरव मढिय़ा। मैं अभी जाकर इसे दिली मुद्दा बनाता हूं, छल से, कपट से, फरेब से गुलेतर को उड़ाता  हूं। अगर मैं स्वयंवर में पशीमां होकर लौटा था। लेकिन इस बार अपना भाग्य अजमाता हूं। यह उदगार लंकापति रावण ने श्री प्रताप धर्म प्रचारणी राम लीला दशहरा कमेटी द्वारा रविवार की सायं को देवी तालाब व रात्रि को शालीमार बाग में मंचित नाटक सीता हरण, हनुमान मिलाप नाटक में उस समय कहे जब लक्ष्मण द्वारा अपना नाक काट देने के बाद रावण की बहन सुर्पनखा बदला लेने के लिए अपने भाई महाराज रावण को उकसा कर बताती है कि वह अपने भाई के लिए सौंदर्य की देवी सीता को लेने के लिए गई थी और राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने उसकी नाक काट डाली। इस मंचित नाटक का उद्धघाटन  फ्रैंडज मोबाइल शॉप के मालिक कुलदीप सिंह ने अपने कर कमलों से किया।

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इससे पहले रावण की बहन सुर्पनखा अपनी कटी हुई नाक लेकर लंका नरेश के दरबार में जाकर त्राहीमान त्राहीमान कहकर संबोधित करती है। बहन की कटी हुई नाक से बहते खून को देखकर लंका नरेश रावण अपना आपा खो बैठते है और राम, लक्ष्मण से बदला लेने के लिए अपना भेष बदलकर एक ऋषि का रूप धारण कर प्रभु राम की कुटिया में जाकर रावण सीता से भिक्षा मांगता है, लेकिन रावण अपनी दिव्य दृष्टि से देखता है कि सीता की कुटिया के बाहर लक्ष्मण ने रेखा खींच रखी है। जिसे भेदना कठिन है। रावण चुतराई से सीता माता को कुटिया से बाहर आकर भिक्षा देने को कहता है। सीता जैसे ही बाहर कदम रखती है तो लंकापति रावण सीता का हरण कर उसे लंका ले जाता है और अटठास करते हुए कहता है कि निसंदेह अब तूं लंका की पटरानी बनेगी।

जैसे ही प्रभु राम और लक्ष्मण कुटिया में आते है तो सीता को वहां न पाकर विचलित हालत में उसकी तलाश करते हुए जंगलों की तरफ जाते है तो उन्हें जटायु सारा व्रतांत बताता है और कहता है कि उसने माता सीता को बचाने के लिए रावण से दो हाथ किए थे। इतनी बात कहते ही जटायु प्राण त्याग देता है। वहीं दूसरे दृश्य में प्रभु राम के अनन्य भक्त हनुमान से प्रभु राम की भेंट होते ही पंडाल में बोल सीयापति राम चंद्र महाराज की जय, बोलो जय बजरंगी बली हनुमान की जयकारे गूंजते है। वहीं पवन पुत्र हनुमान सीता माता की तलाश करते हुए लंका के उस बगीचे में जा पहुंचते है, जहां पर सीता माता एक पेड़ के नीचे बैठी विश्राम कर रही होती है तो हनुमान सीता माता को मिलकर धैर्य देते है और कहते है कि उन्हें पापी रावण से घबराने की कोई जरूरत नहीं है और दृश्य से लीला सपन्न हो जाती है। रावण का जानदार किरदार कलाकार पवन कालिया, श्री राम का अभिनय विनय शर्मा व लक्ष्मण का अभिनय अंकुर वर्मा ने किया।

इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष विनोद कालिया, कृष्ण लाल सर्राफ, कमलजीत सिंह, बिशंवर दास, रजिंदर वर्मा, सतीश शर्मा, सुरिंदर शर्मा, राजेश सूरी, दविंदर कालिया, मंगल सिंह, एडवोकेट पवन कालिया, गुलशन लुंबा, अश्वनी सूद, हरबंत सिंह भंडारी, मोती लाल, अशोक बवल, जसविंदर सिंह, भूपिंदर सिंह, जोगिंदर जेके, बावा पंडित, किशन दत्त शर्मा, रघु शर्मा, धर्मपाल व दर्जनों कलाकार उपस्थित थे।

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