होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। डॉ. नवदीप कौर ने अपने लंबे करियर सफर में कई दर्दरहित प्रसव ऑपरेशन्स सफलता पूर्वक किए हैं। वह हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का उपचार भी बड़ी बारीकी और जिम्मेदार ढ़ंग से करने में सक्षम हैं। आज के मार्डन लाइफ स्टाइल, देर से शादी और बच्चे लेट से करने की सोच की वजह से महिलाओं और पुरूषों में इन्फर्टीलिटी की समस्या आम हो चुकी है। डॉ. नवदीप कौर शादीशुदा कपल्स की इन परेशानियों को अपने लंबे चिकित्सकीय अनुभव की वजह से बड़ी ही आसानी से दूर करने में सक्षम हैं। लेप्रोस्कोपी और हिस्ट्रोस्कोपी की मदद से महिलाओं में व्याप्त प्रेग्नेंसी संबंधित परेशानियों का इलाज वह सफल तरीके से करती हैं। ये विचार आईवी हस्पताल के फैसिलिटी हेड विशाल ने प्रैसवार्ता के दौरान अपने संबोधन में कहे। उन्होंने आगे कहा की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की विशेषज्ञ डॉ. नवदीप कौर कुशल व अनुभवी गायनेकोलॉजिकल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की विशेषज्ञ हैं। इस मौके पर डॉ. नवदीप कौर ने कहा कि लेप्रोस्कोपी का अर्थ है दूरबीन द्वारा सर्जरी। इसके अन्तर्गत मात्र एक सेंटीमीटर या आधा सेंटीमीटर चीरा लगाकर सर्जरी की जा सकती है। ट्रेडिशनल विधि से सर्जरी करने में 10 से 15 सेंटीमीटर का चीरा लगाना पड़ता था। इस विधि से कि गई सर्जरी में मरीज बहुत जल्दी स्वस्थ हो जाता है। साथ ही यह दर्द रहित भी है। मरीज रोजमर्रा का काम जल्दी ही शुरू कर सकता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से महिलाओं की कई जटिल समस्याओं का निदान हो जाता हैं। वह बताती हैं कि इस विधि से डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी, अंडेदानी की रसौली को निकालना, बच्चेदानी की गांठ को निकालना, जैसी सर्जरी को प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। इसी प्रकार से दूरबीन विधि द्वारा हम गर्भ की अंदरूनी जांच भी कर सकते हैं और जो भी छोटी गांठें हैं उन्हें निकाल सकते हैं।
डॉ. नवदीप कौर शिशु प्रजनन से संबंधित हर मामले की एक्सपर्ट
डॉ. नवदीप कौर शिशु प्रजनन से संबंधित हर मामले की एक्सपर्ट हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में जो आज की एक बड़ी समस्या है वह है हाई रिस्क प्रेग्नेंसी जिस पर बात करते हुए वह कहती हैं कि अधिक उम्र में जैसे 35 की उम्र पार करने के बाद गर्भधारण करने की वजह से महिलाओं को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस उम्र में पहले बच्चे को जन्म देना कई बार रिस्की होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ महिलाएं अपनी डाइट, सेहत का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखती हैं। ऐसे में उनके शरीर में आयरन, खून की कमी हो जाती है। इससे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में हिमोग्लोबीन का स्तर काफी कम हो जाना, डायबिटीज होना, हाई ब्लड प्रेशर रहना इन सभी कारणों से आप हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की कैटेगरी में आ जाती हैं।
इस मौके पर मौजुद प्रसिद्ध गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. अमनदीप मान ने बताया की इन महिलाओं को हाई प्रेंग्नेसी का खतरा अधिक होता है जैसे की जो मोटापे से ग्रस्त हैं, जिनके शरीर में पहले से ही खून की कमी है, जिनके साथ पहले कई बार मिसकैरेज हो चुका है और यदि वो शारीरिक रोग जैसे हाई बीपी,डायबिटीज, पीलिया आदि समस्याओं से ग्रस्त हो। उन्होंने कहा की आईवी हस्पताल में डॉ: नवदीप कौर के जुडऩे से टीम को बल मिला है और जल्दी ही यहां आईवीएफ की सुविधाऐं भी मिलने लगेगी।