होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। अगर आप होशियारपुर-ऊना मार्ग पर कारपोरेशन की हद में बनी किसी कालोनी में प्लाट लेकर घर या दुकान बनाने की सोच रहे हैं तो ऐसा करने से पहले कुछ बातों को सुनिश्चित कर लें। क्योंकि, इस मार्ग पर कारपोरेशन की हद में बनी कालोनियों में एक-दो को छोडक़र बाकी सभी नाजायज कैटागिरी में आती हैं। क्योंकि भले ही सरकार की एक योजना के तहत इन कालोनियों को रेगुलाइज़ करने की स्कीम आई थी, लेकिन उस स्कीम के तहत क्लोनाइजऱ को कुल फीस का 10 प्रतिशत जमा करवाकर काम करने की आज्ञा थी, लेकिन ऐसा कहीं भी प्रावधान नहीं था कि बाकी की फीस न दी जाए।
इसी का लाभ लेते हुए उक्त मार्ग पर कुछेक क्लोनाइजऱों ने पुरानी फीस पर ली गई एनओसीज़ के आधार पर जहां कई प्लाट बेच डाले वहीं मौजूदा समय में भी उसी चाल को चलते हुए लोगों को प्लाट बेचने की जुगत भिड़ाई जा रही है। जोकि अधिकारियों की सुचेतता के चलते पूरी नहीं हो पा रही। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार उक्त मार्ग पर काटी गई कालोनियों जिन्हें अवैध की श्रेणी में रखा गया है के मालिकों द्वारा न तो कारपोरेशन से सभी एनओसीज़ ली गई हैं और न ही सरकार को पूरी फीस ही जमा करवाई गई है, जिसके चलते जहां सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लग रहा है वहीं वहां पर प्लाट लेकर फंस चुके लोग भी परेशानी के आलम में गुजर रहे हैं।
इन कालोनियों में जिनके पास नई हिदायतों से पहले की रजिस्ट्री है उन्हें तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर आप नया प्लाट लेते हैं तो आपको जहां रजिस्ट्री करवाने में दिक्कत होगी वहीं कारपोरेशन से एनओसी न मिलने की सूरत में और परेशान एवं आर्थिक तौर पर नुकसान उठाने को विवश होना पड़ सकता है। और तो और एक क्लोनाइजऱ ने तो कालोनी की छोड़ी गई मुख्य सडक़ का करीब 10 फिट हिस्सा ही बेच डाला और क्लोनाइजऱ द्वारा किया गया यह कारनामा कालोनी के मुख्य गेट पर खड़े होने पर ही नजऱ आ जाता है। जिससे साफ है कि नियमों को ताक पर रखकर और पहुंच के बल पर कुछेक क्लोनाइजऱ जहां जनता के साथ धोखा कर रहे हैं वहीं सरकार को भी आर्थिक नुकसान पहुंच रहे हैं।
अवैध कालोनियों का धंधा अंदरखाते कितनी तेजी से चल रहा है इसकी जानकारी होने के बावजूद अधिकारी वर्ग खुद को बेबस पा रहा है, क्योंकि ऐसे लोगों पर कार्यवाही करके बदलियों का दंश झेल चुके अधिकारी आंखें बंद करने में ही भलाई समझे हुए हैं। क्योंकि अगर किसी बड़े नेता के करीबी की कालोनी पर आंच आई तो फिर आका के इशारे पर उन्हें कौन सा स्टेशन मिलेगा… इतना तो आप समझ ही सकते हैं। इसके अलावा अधिकारियों पर और भी कई प्रकार के दवाब के चलते ऐसे क्लोनाइजऱों के हौंसले काफी बुलंद हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि अधिकारी वर्ग कार्यवाही नहीं करना चाहता, लेकिन राजनितिक एवं अन्य प्रकार से दवाब रहित कार्य करने का मौका मिले तो व्यवस्था काफी दुरुस्त हो सकती है।
इस बारे में बात करने पर एमटीबी लखबीर सिंह ने कहा कि वह इस संबंधी जांच करवाएंगे और ले आउट के हिसाब से अगर कालोनी में बदलाव हुए तो क्लोनाइजऱ के खिलाफ कार्यवाही हित सरकार को लिखकर भेजा जाएगा तथा लोकल स्तर पर जो भी कार्यवाही होगी की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी को भी बिना आज्ञा एवं सरकार के नियमों के उल्ट कालोनी के निर्माण एवं लोगों को झूठे जाल में फंसाने की आज्ञा नहीं दी सकती। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि वह प्लाट लेने से पहले कालोनी के अप्रूवड या अनअप्रूवड संबंधी सारी जानकारी जरुर जुटाएं।